दुर्ग

9 अप्रैल को आ सकता है अभिषेक हत्याकांड पर फैसला, डेढ़ हजार लोगों की हुई थी पूछताछ
01-Apr-2021 6:58 PM
9 अप्रैल को आ सकता है अभिषेक हत्याकांड पर फैसला,  डेढ़ हजार लोगों की हुई थी पूछताछ

तीन आरोपी पांच साल से हैं दुर्ग जेल में निरूद्ध

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 1 अप्रैल।
भिलाई के बहुचर्चित हाईप्रोफाइल अभिषेक मिश्रा हत्याकांड में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मुख्य आरोपी विकास जैन, उसके चाचा अजीत जैन तथा विकास की पत्नी किम्सी के खिलाफ फैसला सुरक्षित रखा है। आज से ठीक नोवें दिन इस मामले का फैसला अदालत में सुनाया जायेगा हालांकि कोविड संक्रमण के मामले बढऩे की वजह से संभावना कुछ कम ही नजर आ रही है लेकिन सबकुछ कंट्रोल में रहा तो 9 अप्रैल को इस हत्याकांड पर फैसला सुनाया जा सकता है। विदित हो कि अभिषेक मिश्रा की हत्या के आरोप में तीनों आरोपी पांच साल से दुर्ग जेल में निरूद्ध हैं।

लगभग साढ़े चार साल पहले हुआ यह मामला आज भी भिलाई के रहवासियों में चर्चा का विषय रहा है। बीते 9 नवंबर 2016 को धनतेरस का दिन था। श्री शंकराचार्य कॉलेज ऑफ इंस्टीट्यूट भिलाई के वाइस चेयरमैन अभिषेक मिश्रा उस शाम अपनी कार लेकर दफ्तर से निकले और रात भर घर नहीं पहुंच सके थे। परिजन रात भर चिंता में रहे। 10 नवंबर 2016 को अभिषेक के पिता आईपी मिश्रा के मोबाइल की घंटी बची। किसी ने काल किया कि अभिषेक का अपहरण कर लिया गया है। फिरौती के रकम के लिए दो बार फोन किया जाएगा। फोन करने वाले ने अंतिम शब्द लाल सलाम कहा और फोन स्वीच ऑफ कर दिया था। आईपी मिश्रा फौरन आईजी दुर्ग के दफ्तर पहुंचे और पूरी बात बताई। लाल सलाम शब्द सुनकर पुलिस का माथा भी चकराया। लगा जैसे यह नक्सलियों का काम हो। उसी दिन नया रायपुर धमतरी जाने वाले मार्ग पर अभिषेक की कार लावरिश हालत में खड़ी मिल गई, पर अभिषेक का मोबाइल लगातार स्वीच ऑफ आ रहा था इसलिए उसका लोकेशन ट्रेस नहीं हो पाया। संबंधित जगहों पर पुलिस लगातार अभिषेक को तलाशती रही। जैसे-जैसे दिन बीतते गए भिलाई में यह मामला सब जगह चर्चा का विषय बनता गया। पुलिस ने जांच और तेज कर दी। इस दौरान अभिषेक के गायब होने के हर एंगल पर तफ्तीश की गयी। पुरानी रंजिश से लेकर कारोबारी झगड़े तक लगभग डेढ़ हजार लोगों का बयान दर्ज किया गया। फिर पता लगा कि कुम्हारी टोल प्लाजा के सीसी टीवी फुटेज में अभिषेक की कार दिखी है और कार में अन्य शख्स के साथ एक महिला भी थी, पर दोनों की पहचान नहीं हो पाई।

एक-एक कर पुलिस ने एक करोड़ मोबाइल नबंरों को खंगाल लिया। एक नंबर पर पुलिस का ध्यान अटका, वह था किम्सी जैन का नम्बर। पुलिस ने किम्सी के बारे में पता लगाया। वह श्री शंकराचार्य कॉलेज में प्रोफेसर थी, लेकिन विकास जैन से शादी के बाद उसने कॉलेज छोड़ दिया था। 9 नवंबर की शाम किम्सी के मोबाइल से अभिषेक के मोबाइल पर फोन गया था। अभिषेक के मोबाइल पर आने वाला यह अंतिम इनकमिंग काल था। पुलिस ने किम्सी से पूछताछ की। उसने स्वीकार किया कि उस शाम उसने अभिषेक को फोन किया था। वह उससे मिलने चौहान टाउन स्थित उसके घर भी आया था, फिर वह चला गया। पुलिस को किम्सी के बयान के बाद उस पर जरा भी शक नहीं हुआ। फिर भी पुलिस ने किम्सी के पति विकास जैन का मोबाइल लोकेट किया। घटना के दिन उसका मोबाइल स्मृति नगर से होते हुए कुम्हारी टोल प्लाजा, कुम्हारी टोल प्लाजा से नवा रायपुर धमतरी रोड के पास तक बताता रहा। सेम यही लोकेशन अभिषेक के मोबाइल का भी बता रहा था। इस आधार पर पुलिस ने विकास जैन को गिरफ्तार कर लिया। विकास और किम्सी से अलग-अलग पूछताछ की।

शुरूआत में दोनों पुलिस को गुमराह करते रहे मगर बाद में टूट गए। दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने विकास जैन के चाचा अजीत जैन के स्मृति नगर निवास के गार्डन से अभिषेक मिश्रा की लाश बरामद की थी। अभिषेक की लाश को छह फीट गड्ढे में दफनाया गया था। हाथ के कड़े, अंगुठी से उसकी पहचान हुई। बाद में डीएनए टेस्ट भी कराया गया। घटना के 44 दिन बाद मामले का खुलासा हुआ। पुलिस ने अभिषेक की हत्या के जुर्म में किम्सी जैन, विकास जैन तथा अजीत जैन को गिरफ्तार कर लिया था जिसकी दुर्ग कोर्ट में सुनवाई चल रही थी।

बताया जाता है कि अभिषेक मिश्रा हत्याकांड के कुछ दिन पहले अजय देवगन की चर्चित फिल्म आई थी दृश्यम। इसी फिल्म को देखकर तीनों ने अभिषेक की हत्या की साजिश रची थी। किम्सी ने पुलिस को दिए अपने इकबालिया बयान में बताया था कि कॉलेज में पढ़ाते वक्त वह अभिषेक के नजदीक आ गई थी। बाद में उसने विकास जैन से शादी कर ली। शादी के बाद भी अभिषेक पहले जैसा ही रिश्ता रखना चाहता था। इस बात को लेकर अभिषेक द्वारा काफी दबाव बनाया गया। परेशान होकर किम्सी ने यह बात अपने पति विकास जैन को बता दी। फिर किम्सी, विकास तथा उसके चाचा अजीत जैन ने अभिषेक की हत्या की साजिश रची। इसके लिए उन्होंने कई बार दृश्यम फिल्म देखी थी।

9 नवंबर को अभिषेक जब किम्सी से मिलने चौहान टाउन आया तब मौका पाकर विकास व अजीत ने उसके सिर के पीछ राड मार दिया। कुछ देर तड़पडऩे के बाद अभिषेक की मौत हो गई। तीनों उसे उसी की कार में लेकर अजीत जैन के स्मृति नगर निवास पहुंचे। जहां पहले ही मोबाइल टावर लगाने के नाम पर छह फीट गड्ढा खोदकर रखा गया था। प्लास्टिक में पैक कर अभिषेक को उसी गड्ढे में दफना दिया गया। बाद में वहीं गोभी के पौधे लगा दिए गए थे। लाश निकालने में भी पुलिस टीम को खासी मशक्कत करनी पडी़ थी।

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