दुर्ग

वायु गुणवत्ता सुधार के लिए भोपाल से आए अफसर की आयुक्त संग बैठक
27-Jul-2024 2:50 PM
वायु गुणवत्ता सुधार के लिए भोपाल से आए अफसर की आयुक्त संग बैठक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 27 जुलाई।
नगर पालिक निगम भिलाई के सभागार में दुर्ग जिले के अंदर वायु गुणवत्ता बेहतर हो, इसके संबंध में भोपाल से आये पर्यावरण अधिकारी डॉ. वाय के सक्सेना द्वारा बैठक ली गई। 

इसमें आयुक्त नगर निगम भिलाई, दुर्ग, रिसाली एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी जामुल, उतई, कुम्हारी, आई.आई.टी विभाग के प्रोफेसर, परिवहन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख अधिकारी उपस्थित रहे। नगरीय निकाय क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता शासन के मानक अनुसार कैसे सुधारी जाये, इस पर विस्तृत चर्चा की गई।

उन्होंने बताया कि वायु गुणवत्ता खराब होने से स्वास्थ्य के उपर बहुत विपरित प्रभाव पड़ रहा है। विभिन्न प्रकार की बीमारियां वायु प्रदूषण के कारण हो रही है। हम केन्द्र सरकार द्वारा दिये दिशानिर्देशो के अनुसार कार्य करना होगा। प्रमुख रूप से इंड्रस्टियों से होने वाले प्रदूषण, गाडिय़ों से निकलने वाले घुएॅ, सडक़ का डस्ट, सालिड वेस्ट, ध्वनि प्रदूषण आदि से वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य मानक से कम हो रही है। जिसे रोकने के लिए हमे कड़ाई से पालन करना होगा।

नगर निगम भिलाई द्वारा किये जा रहे वायु गुणवत्ता सुधार के लिए किये जा रहे उपायो का निरीक्षण करने मौके पर गये। निगम के वाहन शाखा जाकर रोड स्वीपिंग मशीन का निरीक्षण किये, उसके कमियों को बताये। डॉ. वाय के शक्सेना द्वारा स्वयं नीम, गुलमोहर, करंज वृक्ष लगाये गये। वायु गुणवत्ता मापक यंत्र का निरीक्षण करने क्षेत्रीय पर्यावरण कार्यालय 32 बंगले में किये। वहां पर गहनता से निरीक्षण किये संबंधित एजेंसी को आवश्यक दिशा निर्देश दिये। 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत बनाये जा रहे रोड, सडक़ पर किये गये प्लांटेशन आदि का निरीक्षण किये।

डॉ. सक्सेना द्वारा बताया गया कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अधिकतम पेड़ पौधे लगाया जाए, रोड के किनारे के धुल के कण को रोकने के लिए पेवर ब्लाक लगाया जाए। फैक्ट्रियों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए मापक यंत्र लगाया जाए। प्रदूषण फैलाने वाले इंडस्ट्री पर रोक लगाई जाए। सभी निकाय को वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए नियमो का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। पाईप पद्धति से लगाये गये वृक्षों का उन्होंने सराहना की इससे पेड़ भी बड़े हो जाएंगे, जानवर भी नहीं खाएगें। इस विधि के माध्यम से वृक्ष लगाने के लिए अन्य निकायों को भी प्रेरित करेंगे।

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