राजनांदगांव
नांदगांव-खैरागढ़ वन मंडल में मई के पहले सप्ताह से शुरू होगी तोड़ाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 26 अप्रैल। ‘हरा सोना’ माने जाने वाले तेन्दूपत्ता की बेहतर गुणवत्ता देखकर वन महकमे को जहां लक्ष्य के तहत तेन्दूपत्ता तोड़ाई की उम्मीद है। वहीं गुणवत्ता वाले पत्तों के चलते सरकार के खजाने में अच्छी आय होने का अफसरों को भरोसा है। राजनांदगांव और खैरागढ़ वन मंडल में पिछले कुछ दिनों से बूटा कटाई का कार्य किया जा रहा था, ताकि पत्ता तोड़ाई में किसी तरह की तकनीकी और व्यवहारिक अड़चन खड़ी न हो। बताया जा रहा है कि दोनों वन मंडल में मई के पहले सप्ताह से तोड़ाई शुरू हो जाएगी। राजनंादगांव वन मंडल में 8400 मानक बोरा तोड़ाई का लक्ष्य रखा गया है। वहीं खैरागढ़ वन मंडल में 42600 मानक बोरा तेन्दूपत्ता तोड़ाई की जाएगी।
बताया जा रहा है कि खैरागढ़ वन मंडल में 24 लाट में से 21 की नीलामी हो चुकी है। इस नीलामी में दीगर प्रांत के तेन्दूपत्ता व्यापारियों ने रूचि ली है। हालांकि 3 लॉट की नीलामी नहीं होने से सरकारी स्तर पर तोड़ाई होगी। डोंगरगढ़, छुईखदान और गंडई लॉट में अफसरों की निगरानी में तेन्दूपत्ता तोड़ाई होगी। बताया जा रहा है कि नक्सलग्रस्त इलाकों के लॉटों की आसानी से नीलामी हो गई है। नक्सल क्षेत्रों में ग्रामीणों के हितों को देखते हुए नक्सलियों ने विरोध नहीं किया है। तेन्दूपत्ता तोड़ाई के जरिये वनवासियों को अच्छी कमाई होती है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने प्रति सौ गड्डी तेन्दूपत्ता के लिए 400 रुपए का पारिश्रमिक तय किया है। यानी हजार गड्डी तैयार करने पर तेन्दूपत्ता संग्राहक को सीधे 4 हजार रुपए का फायदा होगा। बताया जा रहा है कि मई के 3-4 तारीख से तेन्दूपत्ता तोड़ाई शुरू होगी।
राजनंादगांव वन मंडल में भी लक्ष्य के अनुरूप तेन्दूपत्ता तोड़ाई के लिए प्रशासनिक तैयारी चल रही है। मैदानी अमले को तेन्दूपत्ता संग्राहकों से पत्ता तोड़ाई के दौरान मिलकर काम करने के लिए प्रशिक्षित भी किया गया है। बताया जा रहा है कि खैरागढ़ वन मंडल को हर साल डेढ़ करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है। जबकि राजनांदगांव वन मंडल की आय खैरागढ़ की तुलना में दोगुनी है। खैरागढ़ डीएफओ संजय यादव ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि लॉटों में तोड़ाई की तैयारी पूरी कर ली गई है। प्रशिक्षण भी मैदानी अमले को दिया गया है।
बताया जा रहा है कि खैरागढ़ वन मंडल के अंदरूनी इलाकों में तेन्दूपत्ता की गुणवत्ता बीते साल की तुलना में बेहतर है। मौसम का साथ मिलने से जंगल में तेन्दूपत्ता की चमक देखकर संग्राहकों और वन अफसरों में जबर्दस्त उत्साह है।