रायगढ़
न हिसंक वन्यप्राणी का पेट भरा, न मृत चीतल का हो सका अंतिम संस्कार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 2 मई। गर्मी के दिनों में अक्सर वन्यप्राणी जंगल से भटक कर गांव के करीब पहुंच जाते हैं। ऐसे में कई बार वे कुत्तों का शिकार बन जाते हैं, तो कई बार अन्य घटना से उनकी मौत हो जाती है। ऐसे में उनके शव को जला दिया जाता है, लेकिन उच्चाधिकारियों ने ऐसी स्थिति को देखते हुए यह आदेश निकाला कि सेंचुरी क्षेत्र में अगर ज्ञात कारणों से किसी वन्यप्राणी की मौत होती है, तो उसके शव को जलाया नहीं जाए। बल्कि उसे तेंदुए व अन्य हिसंक वन्यप्राणी का भोजन बनाया जाए और ऐसे स्थान पर मृत वन्यप्राणी को रखा जाए। जहां हिसंक प्राणी आसानी से पहुंच जाए और उसे खाकर अपना पेट भर ले, पर रायगढ़ रेंजर ने कुत्तों के हमले से मरे चीतल को ऐसे जंगल में रख दिया, जहां कई वर्षों से न तो तेंदुए का कोई प्रमाण मिला और न ही भालू को छोडक़र किसी अन्य हिसंक वन्यप्राणी की यहां पुष्टि हो सकी। बंगुरसिया के जंगल कक्ष क्रमांक 915 में वह मृत चीतल पिछले चार दिनों से वहीं पड़े पड़े सड़ गया।
विभागीय कर्मचारियों ने बताया कि अब तो उसके शरीर में कीड़े भी लग चुके हैं। ऐसे में वह मृत चीतल न तो किसी का पेट भर सका और न ही उसका अंतिम संस्कार हो सका।
बंगुरसिया पश्चिम के वनकर्मियों से मोबाइल पर चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि पिछले पांच-छह बरसों से यहां तेंदुआ व लकड़बग्घा का कोई प्रमाण नहीं मिला है और न ही इसकी पुष्टि हो सकी है। इसके बाद भी इस तरह मृत चीतल को जंगल में छोडऩा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही को उजागर कर रही है।
बिना शिकार किए शिकारियों की हो जाएगी मौज
विभागीय जानकारों का यह भी कहना है कि तेंदुआ व हिसंक वन्यप्राणियों की बिना पुष्टि और चौबीस घंटे की बिना निगरानी इस तरह मृत वन्यप्राणियों को घने जंगलों में छोड़ दिया जाता है, तो शिकारियों व वन अपराध से जुड़े लोगों की मौज हो जाएगी। बिना शिकार ही उन्हें अपना मनपसंद शिकार मृत हालत में बंधा मिलेगा। बताया जा रहा है कि बंगुरसिया के कक्ष क्रमांक 915 में जहां मृत चीतल को छोड़ा गया था, वहां सिर्फ सुबह व शाम को देखकर वनकर्मी लौट आते हैं।
हो सकती है वनकर्मियों पर कार्रवाई
विभागीय सूत्रों ने बताया कि इस तरह की लापरवाही से अब बड़ी कार्रवाई विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा रायगढ़ रेंज में की जा सकती है। चीतल को इस तरह सडऩे के लिए जंगल में छोडऩे संबंधी इस मामले सहित दावानल से जंगल को बचाने में की गई लापरवाही की शिकायत भी उच्च विभाग में किए जाने की तैयारी अब वन व वन्यप्राणी प्रेमियों के द्वारा की जा रही है। जल्द ही इस मामले की उच्च स्तर पर शिकायत हो सकती है। ऐसे में आने वाले समय में रायगढ़ वन मंडल में लापरवाह अधिकारी व कर्मचारियों पर बड़ी कार्रवाई से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इस संबंध में रायगढ़ वनमंडलाधिकारी डॉ. प्रणय मिश्रा का कहना है कि मृत चीतल प्रजाति के वन्यप्राणी को तेंदुआ व अन्य हिसंक प्राणी के भोजन के लिए ऐसे स्थान पर छोडऩा है, जहां उनकी मौजूदगी हो। यह आदेश अभ्यारण्य के लिए आया था, पर सेंचुरी के अलावा अगर कहीं तेंदुआ है, तो वहां भी उसके पेट भरने के लिए अपनी निगरानी में रख सकते हैं। बंगुरसिया में मृत चीतल को ऐसा रखा गया है इसकी रिपोर्ट रेंजर ने अभी नहीं किया है। मैं इनसे बात कर लेता हूं और अगर वहां हिसंक वन्यप्राणी नहीं है, तो मृत चीतल के शव को मंगवा कर उसका अंतिम संस्कार कराया जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी।