राजनांदगांव
ढाई साल बाद भी सत्ता में जगह न मिलने से दावेदारों में नाराजगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 9 मई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश सरकार के कार्यकाल के ढाई साल पूरे हो गए हैं। डेढ़ दशक तक भाजपा के खिलाफ जमीनी लड़ाई लडऩे वाले कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के सत्तारूढ़ होने पर सत्ता और संगठन में अहमियत मिलने की उम्मीद थी।
पिछले डेढ़ साल से वैश्विक महामारी कोरोना से जूझने के चलते राज्य सरकार ने राजनीतिक नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। इधर गुजरते समय से दावेदार मायूसी के घेरे में है। राजनीतिक नियुक्तियां अटकने से संगठन के कद्दावर नेताओं को सियासी महत्व नहीं मिल रहा है। राजनांदगांव जिले में करीब सवा साल पहले कुछ नियुक्तियां की गई थी। जिसमें तीन विधायकों को सत्ता में जगह दी गई। जबकि संगठन से जुड़े कुछ ही नेताओं को राज्य सरकार ने अलग-अलग पदों से नवाजा। कोरोनाकाल में सभी नियुक्तियों पर अघोषित रोक लगा दी गई है। अब कार्यकर्ताओं का सब्र टूटने लगा है।
बताया जा रहा है कि एक बार फिर कांग्रेस के भीतर ‘लालबत्ती’ की सवारी के लिए उठापटक चल रही है। वैसे तो राज्य सरकार के रणनीतिकार भी नई नियुक्तियों की सूची जारी करने के पक्ष में है।
बताया जा रहा है कि सरकार के पास ढ़ेरों पद अभी भी रिक्त हैं। गाहे-बगाहे लालबत्ती का जिक्र शुरू होते ही पूर्व महापौर नरेश डाकलिया, जितेन्द्र मुदलियार, नवाज खान, खुज्जी विधायक छन्नी साहू, अंजुम अल्वी जैसे दिग्गज नेताओं का नाम सामने आता रहा है। राजनीतिक रूप से सभी चर्चित और सक्रिय माने जाते रहे हैं। बताया जा रहा है कि ढाई साल बचे सरकार के कार्यकाल में सभी दावेदार लालबत्ती को लेकर उम्मीद पाले हुए हैं। हालांकि कोरोनाकाल में बार-बार नियुक्तियों को लेकर अटकलें लगती रही है। बताया जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के साथ वर्चुअल बैठक भी कर सकते हैं। इसी के चलते एक बार फिर संगठन में नियुक्तियों को लेकर हलचल तेज हो गई है।