महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 14 मई। आज अक्षय तृतीया है। परंपरा के अनुसार आज के दिन मिट्टी से बने गुड्डे-गुडिय़ों का विवाह बच्चे अपने-अपने घरों में करते हंै। इस दिन का बच्चों को बेसब्री से इंतजार रहता है, लेकिन पिछले दो सालों से ऐसे विवाह पर कोरोना का ग्रहण लग गया है।
पिछले पांच दिनों से पर्व के मद्देनजर सडक़ों पर मिट्टी के बने गुड्डे-गुडिय़ों को बेचने के लिए सजा हुआ है। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इस साल इसकी पूछ परख नहीं है। इसी प्रकार आज के दिन अबूझ मु्हुर्त में ग्रामीण क्षेत्रों में भारी शादियां होती है। लेकिन संक्रमण के कारण इस साल इसे भी टाल दिया गया है। आज ही ईद है और महासमुंद में घरों में ही ईद की नमाज पढ़ी गई। मस्जिद में केवल 5 लोगों के पढऩे की अनुमति मिली थी। हालांकि आज का दिन बहुत विशेष है। क्योंकि अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती और मुस्लिम समुदाय का अहम पर्व ईद है। लॉकडाउन के कारण ये तीनों पर्व घरों पर ही रहकर मनाई जा रही है।
ज्ञात हो कि संक्रमण को देखते हुए आसपास गांवों के लोग भी शहर नहीं आ रहे हैं। इसके कारण इस साल जिले में करीब 500 से अधिक शादियों को टाल दिया गया है। कुछ जोड़े फिर भी कोरोना नियमों के साथ घरों में शादियां कर रहे हैं। बरकतों का महीना रमजान आज खत्म हो गया। कोरोना संक्रमण के कारण इस साल मस्जिद में केवल पांच लोगों ने नमाज अदा की। बाकी लोगों ने घरों में नमाज पढक़र एक दूसरे को फोन से बधाईयां दी।
इसी प्रकार परशुराम की जयंती भी घर में रहकर मनाई जा रही हैं। यदि लॉकडाउन नहीं होता तो ये नमाज इमाम के साथ ईदगाह भाठा में पढ़ी जाती और एक दूसरे को लोग गले मिलकर ईद की बधाई देते। बीते रविवार को 27 वें रोजे की रात शब ए कद्र मनाई गई। लॉकडाउन के चलते मुस्लिम समाज के लोगों ने पूरी रात अपने घर के भीतर रहकर इबादत की। फतिहा भी घरों में ही दिलाई गई। यह दूसरा साल है जब शब ए कद्र पर जिले के मस्जिदें और कब्रिस्तान सूने रहे। वहीं आज शुक्रवार है और आज रमजान माह के अंतिम जुमा की नमाज अदा की गई।