दुर्ग

जल संरक्षण हम सभी का नैतिक दायित्व-राज्यपाल, हेमचंद यादव विवि, दुर्ग में जल संरक्षण पर कार्यशाला आयोजित
18-May-2021 6:17 PM
जल संरक्षण हम सभी का नैतिक दायित्व-राज्यपाल, हेमचंद यादव विवि, दुर्ग में जल संरक्षण पर कार्यशाला आयोजित

छत्तीसगढ़संवाददाता

दुर्ग, 18 मई। जल सरंक्षण हम सभी का नैतिक दायित्व है। प्रत्येक नागरिक को जल संरक्षण के प्रति सजग रहकर अपने-अपने स्तर पर सकारात्मक प्रयास करना चाहिये। ये उद्गार  राज्यपाल अनुसुईया उइके ने व्यक्त किए। राज्यपाल हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग द्वारा ऑनलाईन रूप से जल संरक्षण-कैच द रेन विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में लगभग 2000 से अधिक प्राध्यापकों, प्राचार्यों, 25 विश्विद्यालयों के कुलपतिगणों दुर्ग विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कुलसचिवगण, कर्मचारियों, एनएसएस के कार्यक्रम अधिकारी, स्वयंसेवकों, शोधार्थियों, छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रही थी।

अनुसुइया उइके ने कहा कि हमारे दैनिक जीवन के क्रियाकलापों में भी आवश्यकतानुसार ही पीने का पानी उपयोग कर, व्यर्थ बहते नल की टोंटी बंदकर वृक्षारोपण कर, घरों में कार की धुलाई में अपव्यय होने वाले जल की मात्रा को रोक कर हम जल संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। राज्यपाल ने सभी उपस्थित, कुलपतिगण तथा प्राचार्यों आव्हान किया कि वे अपने-अपने शैक्षणिक संस्थानों में रेन वॉटर हारवेस्ंिटग प्रणाली अनिवार्य रूप से स्थापित करें।

इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलगीत के प्रस्तुतिकरण के साथ आरंभ हुए जल संरक्षण पर कार्यशाला में संचालक व दुर्ग विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने जल संरक्षण तथा कैच द रेन की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। दुर्ग विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने अपने स्वागत भाषण में जल संरक्षण की महत्ता पर विचार विमर्श करने हेतु राजभवन के निर्देश की सराहना करते हुए कहा कि इसका श्रेय महामहिम राज्यपाल को जाता है।

डॉ.पल्टा ने कहा कि विश्वविद्यालय के 6 वर्षों के इतिहास में प्रथम बार किसी कार्यक्रम में राज्यपाल के साथ-साथ सचिव उच्च शिक्षा तथा 25 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल हुए हैं। उच्च शिक्षा विभाग के सचिव धनंजय देवांगन ने अपने उद्बोधन में जलसंरक्षणसंबंधी जागरूकता फैलाने हेतु उच्च शिक्षा संस्थानों को सबसे उत्तम माध्यम बताया। छत्तीसगढ़ प्रदेश के लगभग साढ़े सात लाख उच्च शिक्षा मेें अध्ययनरत् विद्यार्थियों को एैसी कार्यशालाओं के द्वारा  जागरूक किया जा सकता है। कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यावरण एवं जल संरक्षण विद् तथा मैगसेसे पुरस्कार विजेता श्री राजेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण को हमारे वर्तमान समय की नितांत आवश्यकता बताते हुए कहा कि उन्होंने थार मरूस्थल के नजदीक मात्र एक गांव में जल संरक्षण हेतु संरचना तैयार की थी  धीरे-धीरे इसका प्रसार होते होते यह अवधारणा राजस्थान के 8600 गांवों में विस्तारित हो गई। इससे गांवों में तो भूजल स्तर में वृद्धि हुई ही साथ ही साथ पांच नदियों के जल स्तर में भी वृद्धि हुई। राजेन्द्र सिंह ने बताया कि छोटे-छोटे चेकडेम, नावलिया, रेन वाटर हारवेस्टिंग प्रणाली स्थापित कर जल को संरक्षित किया जा सकता है। जहां तक छत्तीसगढ़ अंचल की बात है तो यहां धान के खेत रेन वॉटर हारवेस्ंिटग के सबसे बड़े स्त्रोत है। हमें भूमिगत जलभंडार को कभी भी प्रदूषित नही करना चाहिये। श्रीराजेन्द्र सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें जल संरक्षण कार्यक्रमों के साथ-साथ अंदर से जागृत होने की आवश्यकता है। हमारे देष में 90: से ज्यादा लोग अच्छा काम की प्रषंसा करते है परंतु वे स्वयं अच्छे कार्य हेतु आगे नहीं आते। डॉ. सिंह ने विष्वविद्यालयों में जल संसाधन पाठ्यक्रम आरंभ किये जाने पर बल दिया। इस पर राज्यपाल महोदया ने भी अपनी सहमति दी। उन्होंने कहा कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा ऐसी लोग भविष्यवाणी कर रहे है। प्रकृति का लाडला प्रदेश है।

जहां 1200 मिमी वर्षा वार्षिक होती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्टॉक होम पुरस्कार से 2015 में सम्मानित थी। राजेन्द्र सिंह के उद्बोधन से राज्यपाल, कुलपतिगण तथा सभी प्रतिभागी संतुष्ट एवं प्रसन्न नजर आये। राज्यपाल सुश्री उइके ने अपने उद्बोधन में राजेन्द्र सिंह की जल संरक्षण कार्यशाला मे उपस्थिति को छत्तीसगढ़ के लिए मील का पत्थर निरूपित किया।

उल्लेखनीय है कि राजभवन द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निर्देशानुसार प्रेशित पत्र में विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को जल संरक्षण से संबंधित ऑनलाईन गतिविधियां संचालित करने को कहा गया है। इसी के परिपालन में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग द्वारा नियमित छात्र-छात्राओं हेतु जल संरक्षण पर केंद्रित पोस्टर, स्लोगन तथा चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। न केवल विद्यार्थी अपितु शिक्षक संवर्ग हेतु भी जल संरक्षण पर आधारित पावर पाइंट अथवा वीडियों बनाओं प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। महाविद्यालयों द्वारा किए गये जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों को भी अंतर महाविद्यालयीन प्रतियोगिता के माध्यम से पुरस्कृत किया जावेगा। कर्मचारियों हेतु जल संरक्षण पर आधारित निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की जावेगी।

कार्यशाला के अंत में धन्यवाद ज्ञापन हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग के एनएसएस समन्वयक डॉ. आर.पी. अग्रवाल ने किया। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के 25 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव, दुर्ग संभाग के अपर संचालक उच्च शिक्षा डॉ. सुशील चंद्र तिवारी, कुलसचिव डॉ. सी. एल. देवांगन सहित लगभग 2000 से ज्यादा प्रतिभागी ऑनलाईन रूप से उपस्थित थे।

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