दुर्ग
![30 साल से बंद पड़ी लिफ्ट इरीगेशन से इस साल होगी 15 सौ हेक्टेयर खेतों की सिंचाई 30 साल से बंद पड़ी लिफ्ट इरीगेशन से इस साल होगी 15 सौ हेक्टेयर खेतों की सिंचाई](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1621513833t.jpg)
छत्तीसगढ़ संवाददाता
दुर्ग, 20 मई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर जलसंसाधन विभाग की ऐसी संरचनाओं का जीर्णोद्धार हुआ है, जिनसे बरसों से एक भी बूंद सिंचाई के लिए किसानों को नसीब नहीं हुई थी। ऐसी ही एक परियोजना है भाठागांव लिफ्ट इरीगेशन स्कीम। वर्ष 1989 में यह योजना आरंभ हुई थी और 1992 में नहर में टूट फूट होने की वजह से बंद हो गई थी। इसके चलते छह गांवों को खरीफ फसल के दौरान मिलने वाली सिंचाई की सुविधा बाधित रही।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बजट में इस योजना के जीर्णोद्धार की स्वीकृति दी और इसके लिए पांच करोड़ 51 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। जलसंसाधन विभाग ने सिविल वर्क पूरा कर लिया है। भूमिसमतलीकरण का कार्य अभी चल रहा है और इलेक्ट्रिकल वर्क से संबंधित कार्य जारी है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने आज योजना की प्रगति का निरीक्षण किया।
अधिकारियों ने बताया कि जून में यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा। कलेक्टर ने कहा कि योजना से संबंधित इलेक्ट्रिकल मशीनरी वाले कार्य को जून के प्रथम सप्ताह तक पूरा कर लें। योजना से खरीफ फसल में किसानों को तो सहायता मिले ही, रबी में भी किसानों को सहायता मिल पाए।
जलसंसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता सुरेश पांडे ने बताया कि योजना से 1538 हेक्टेयर खेतों में सिंचाई हो सकेगी। इससे पाटन ब्लॉक के तीन गांव लाभान्वित होंगे। इसमें जामगांव आर, बोरवाय और औरी में 818 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई हो सकेगी। इसके साथ ही गुंडरदेही ब्लॉक के भाठागांव, रनचिरई, जरवाय में 720 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी।
श्री पांडे ने बताया कि रबी फसल में भी एक बार का पानी किसानों को दे सकेंगे जिससे चने आदि की फसल लेने में किसानों को आसानी होगी। इस दौरान सहायक कलेक्टर हेमन्त नंदनवार और एसडीएम विपुल गुप्ता भी उपस्थित थे।
पुरानी संरचनाओं की मरम्मत से सिंचाई का रकबा बढ़ रहा- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर अनेक ऐसी सिंचाई योजनाओं को संजीवनी मिल गई है, जो थोड़ी सी मरम्मत की दरकार के चलते पूरी तरह अनुपयोगी हो गई थीं। बहुत सी ऐसी नहरों में इस बार गाद निकाली गईं, जिनमें गाद की वजह से लंबे क्षेत्र में नहर अनुपयोगी रह गई थीं और किसानों की सिंचाई बुरी तरह प्रभावित हो रही थी।