दुर्ग
![मानव अधिकार समानता का परिचायक-डॉ. अरूणा मानव अधिकार समानता का परिचायक-डॉ. अरूणा](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1622124563hatsApp-Image-2021-05-25-a.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 27 मई। मानव अधिकार हमारे जन्म से ही लागू हो जाता है हमारे मौलिक अधिकारों के प्रति हमें सदैव जागृत रहना चाहिये वर्ना इसका फायदा दूसरे लोग उठा सकते हैं । ये उदगार हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने व्यक्त किये । डॉ. पल्टा शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के राजनीतिशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित सात दिवसीय वेबीनार श्रृंखला में ‘‘ मानव अधिकारों’’ पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने ऑनलाईन विचार व्यक्त कर रही थीं । डॉ. पल्टा ने महिलाओं का आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है । संविधान में मानव अधिकारों की विस्तृत व्याख्या की गई है तथा विश्वस्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर एवं राज्य स्तर पर भी मानव अधिकार आयोगों की स्थापना की गई है । इनमें से किसी से भी संपर्क कर महिलाएं मानव अधिकार संरक्षण प्राप्त कर सकती हैं ।
इससे पूर्व कार्यक्रम के संयोजक डॉ. शकील हुसैन ने बताया कि इस वेबीनार में वर्तमान में भारत के ’’प्रदेशों में 300 से ज्यादा प्रतिभागी प्राध्यापक, प्राचार्य, शोधार्थी शिक्षा ले रहे हैं । डॉ. पाल्टा के व्याख्यान के आरंभ में डी.वी. गल्र्स कॉलेज रायपुर की डॉ. उषाकिरण अग्रवाल ने डॉ. पाल्टा का परिचय दिया । वेबीनार की सहसंयोजक डॉ. कमर तलत तथा डॉ. संजू सिन्हा भी इस अवसर पर उपस्थित थी । प्राचार्य डॉ. आर. एन. सिंह के अस्वस्थयता के कारण उनका संदेश डॉ. शकील हुसैन ने वााचन किया ।
अपने व्याख्यान के दौरान डॉ. पल्टा ने बताया कि मानव अधिकार समानता का परिचायक है। मानव अधिकार बिना किसी जाति, लिंग, वर्ण, आर्थिक स्तर का विभेद किये सभी पर एक समान रूप से लागू होता है । डॉ. पल्टा ने कहा कि महिला एवं पुरूष दोनों सिक्के के दो पहलू हैं । हमारे समाज में यह धारणा है कि अनेक कार्य महिलाएं नहीं कर सकती । जबकि एैसा कदापि सत्य नहीं है । हम लिंग भेद नहीं कर सकते । व्याख्यानों में तो लोग बड़ी-बड़ी बातें करके स्त्री-पुरूष समान दर्शाते हैं परन्तु यथार्थ के धरातल पर आज भी स्त्री-पुरूष में भेद करने वाली विचार धारा कायम है । प्रत्येक तीन में से एक महिहला कभी न कभी अपने जीवनकाल में यौन शोषण का शिकार होती है । मजदूरों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मिस्त्री व मलिा रेजा की सेलेरी में काफी अंतर होता है ।
डॉ. पल्टा के व्याख्यान का उपस्थित प्रतिभागियों ने भरपूर आनंद लिया तथा अनेक प्रश्न भी पूछे । साइंस कालेज दुर्ग के राजनीतिशास्त्र विभाग द्वारा आयोजिजत किये जा रहे एक सप्ताह के वेबीनार की सराहना करते हुए डॉ. पल्टा ने कहा कि अस प्रकार के आयोजन से विद्यार्थियों को विषय की नवीनतम जानकारी मिलती है । डॉ. पल्टा ने सुकरात दार्शनिक के कथन का भी उदाहरण दिया । इस अवसर पर दुर्ग वि.वि. के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव सहित लगभग 300 से ज्यादाप्रतिभागी उपस्थित थे ।