दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
उतई, 5 जून। उतई से मड़ोदा सडक़ चौड़ीकरण के लिए कुछ दिनों पहले करीब दो दर्जन पेड़ काट दिए गए।
हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण के अवसर पर शासन प्रशासन द्वारा हजारों पौधारोपण किया जाता है, उनमें से कई पौधे तो उचित देखरेख के अभाव में पेड़ बनने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं और जब कुछ पौधे बचकर 10 से 15 सालों में बड़े होकर पेड़ बन जाते हैं, तो यही शासन-प्रशासन इन्हीं पेड़ों को सडक़ चौड़ीकरण हो या विकास करने के के लिए इन्हीं पेड़ों की बलि चढ़ा देते हैं। शासन प्रशासन या भूल जाते हैं कि उन पौधों को पेड़ बनने में कई साल लगे हैं उसे एक ही झटके में उखाड़ फेंक देते हैं।
ज्ञात हो कि पूरे छत्तीसगढ़ में पर्यावरण का अलख जगाने वाले स्व. गेंदलाल देशमुख द्वारा कोडिय़ा से दुर्ग तक हजारों पौधों को रोपित कर उसकी सुरक्षा में पूरा जीवन बिता दिया। ऐसे व्यक्ति द्वारा लगाए गए 40-50 साल पुराने अनेक पेड़ हाल ही में सडक़ चौड़ीकरण जैसे विकास के नाम पर काट दिए गए।
पौधा लगाने से कुछ नहीं होगा
वरिष्ठ पत्रकार व पर्यावरण प्रेमी रोमशंकर यादव कहते हैं कि मात्र पौधा लगा भर देने से पर्यावरण को नहीं बचाया जा सकता। पर्यावरण को बचाने के लिए हमें रोपित पौधों को बचना होगा तथा उन विशालकाय पेड़ों को जिन्हें पेड़ बनने में कई साल लगे हैं। उन्हें जब तक हम कटने से नहीं बचाएंगे तब तक हम पर्यावरण को दूषित होने से या नहीं रोक सकते हैं।
विजय बघेल दुर्ग सांसद ने कहा कि जब कोई विकास कार्य होता है तो आवश्यकतानुसार पेड़ काटना ही पड़ता है लेकिन शासन का यह कर्तव्य भी बनता है कि पेड़ों को काटने से अच्छा हैं उसी पेड़ को जड़ सहित दूसरी जगह पर विस्थापन करना चाहिए वर्तमान सरकार पर्यावरण के दिन भी निष्क्रिय नजर आ रहा है वन विभाग डिपो में एक भी पौधा नहीं है जब पिछली सरकार था उस समय 5 जून के दिन पहले से ही वन विभाग डिपो के माध्यम से विभिन्न ग्राम पंचायतों शासकीय कार्यालयों में हजारों पौधे पहुंचा दिया जाता था जिससे पौधारोपण को प्रोत्साहन मिलता था। दो करोड़ पौधा लगाने का संकल्प लेने वाली सरकार पूर्ण रूप से असफल दिखाई दे रहा है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए कोरोना काल में जिस प्रकार ऑक्सीजन की कमी हुई यह सब को देख कर हम सब का कर्तव्य बनता है कि एक पौधा जरूर लगाएं ।
राकेश हिरवानी कृषि सभापति दुर्ग ने कहा कि बढ़ती यातायात के दबाव को देखते हुए सडक़ चौड़ीकरण की मांग लंबे समय से हो रहा था। इस समस्या को देखते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मंत्री से मांग की। जिसे तत्काल स्वीकृति दे दिया गया। विभाग को परिस्थितियों के अनुरूप काम करना चाहिये। जितने पेड़ काटे गए उसके बदले में सुरक्षित व खाली जगह पर उस से 10 गुना अधिक पौधारोपण करना चाहिए।तथा भविष्य की प्लानिग ऐसी होनी चाहिये कि विकास के नाम पर कोई पेड़ न कटे। क्यो की आज के परिस्थितियों के अनुसार विकास के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण भी महत्वपूर्ण है अभी से लेकर भविष्य को ध्यान रखकर आगे का वृक्षारोपण होना चाहिए।
राकेश शुक्ला एसडीओ पाटन ने कहा कि मड़ौदा से उतई सडक़ चौड़ीकरण के लिए सडक़ के दोनों ओर आने वाली छोटी छोटी झाडिय़ों को काटा गया है ना कि पेड़ों को।