राजनांदगांव

स्वीकृति के बाद भी नहीं की भर्ती, अब मेडिकल कॉलेज में डीएचएस स्टॉफ की भी शिफ्टिंग
03-Jul-2021 2:31 PM
स्वीकृति के बाद भी नहीं की भर्ती,  अब मेडिकल कॉलेज में डीएचएस स्टॉफ की भी शिफ्टिंग

5 साल पहले 18 हजार बेरोजगारों से आवेदन के नाम पर वसूले लाखों

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 3 जुलाई।
राजनांदगांव शहर के बीच दो दशक पुराने जिला अस्पताल में अस्थाई रूप से संचालित मेडिकल कॉलेज को पेंड्री में शिफ्टिंग करने के तौर-तरीके पर कॉलेज प्रबंधन पर सवाल उठ रहा है। 

कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा से मेडिकल कॉलेज में शिफ्टिंग के लिए मिली तय मियाद के चलते कॉलेज प्रबंधन जिला अस्पताल में कार्यरत कर्मियों को भी शिफ्ट करने की तैयारी कर रहा है। बताया जा रहा है कि करीब 6 साल पहले अस्थाई मेडिकल कॉलेज के रूप में हुई शुरूआत के बाद से जिला अस्पताल के कर्मचारियों के साथ-साथ चिकित्सकीय और अन्य मशीनरी का प्रबंधन उपयोग करता रहा है।  

जिला अस्पताल के लिए राज्य सरकार अतिरिक्त बजट  से राशि स्वीकृत करती है। जबकि मेडिकल कॉलेज का संचालन डीएमई के जरिये होता है। बताया जा रहा है कि कलेक्टर से मिले कड़े निर्देश के बाद प्रबंधन ने आनन-फानन में शिफ्टिंग का सिलसिला शुरू किया है। प्रबंधन की ओर से शिफ्टिंग के लिए जिला अस्पताल के संसाधन को भी पेंड्री स्थित नए भवन में भेजा जा रहा है। इस बीच जिला अस्पताल में शिशु और मातृत्व अस्पताल की एक अतिरिक्त बिल्डिंग 22 करोड़ रुपए की लागत से तैयार की गई। 

डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विस (डीएचएस) के जरिये स्टॉफ की भी नियमित भर्ती की गई है। बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज  के लिए डीएचएस के कर्मियों को भी पेंड्री ले जाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही के चलते 18 हजार शिक्षित बेरोजगारों से 5 वर्ष पूर्व आवेदन मंगाए गए थे। सरकारी नौकरी की चाह में बेरोजगारों ने प्रति आवेदन 250 से 500 रुपए की राशि बतौर फीस जमा की। बताया जा रहा है कि आज भी मेडिकल कॉलेज के स्टोर रूम में आवेदनों की गठरियां कबाड़ में पड़ी है। इसी बात को लेकर लगातार कर्मचारियों ने लंबी लड़ाई लड़ी। आंदोलन के चलते तत्कालिन डीन डॉ. आरके सिंग ने महज स्टॉफ नर्सों की भर्ती की। अन्य तकनीकी और दूसरे पदों के लिए मंगाए गए आवेदनों को धूल खाने के लिए छोड़ दिया गया। 

बताया जा रहा है कि तत्कालीन डीन की प्रशासनिक ढील के कारण सैकड़ों अभ्यर्थी सरकारी नौकरी से चूक गए। वर्तमान में डॉ. सिंग डीएमई के रूप में कार्यरत हैं। बताया जा रहा है कि बिना अधिकृत अनुमति के धड़ल्ले से मशीनरी और अन्य सामान मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट किया जा रहा है। इस बात को लेकर शहर में चर्चा है कि जिला चिकित्सालय का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। जिला चिकित्सालय के घनी आबादी के बीच होने से व्यवहारिक रूप से यह एक अच्छा फैसला माना जा रहा था। अब मेडिकल कॉलेज के पूर्ण रूप से शुरूआत होने के कारण अस्पताल के अस्तित्व को लेकर सवाल उठ रहे हैं। 

बताया जा रहा है कि शहर में राजनीतिक और गैर राजनीतिक स्तर पर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के इस रवैये को लेकर तीखी प्रतिक्रिया है। इस संबंध में कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि इस संबंध में जानकारी लेकर यथोचित व्यवस्था को बेहतर बनाने का प्रयास किया जाएगा। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से जानकारी ली जाएगी। बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल में करोड़ों की सीटी स्कैन मशीन, फर्नीचर, महंगे उपकरण और तकनीकी मशीनरी को भी शिफ्ट किया जा रहा है।

उधर सह सिविल सर्जन डॉ. यूके चंद्रवंशी ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए डीएमई से पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। बताया जा रहा है कि इस मामले को लेकर सरकार के खिलाफ नाराजगी लोगों में बढ़ी है। आगे यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। 

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