महासमुन्द
इस बार रिजल्ट पूर्व की अपेक्षा बेहतर रहा-डीईओ
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 26 जुलाई। महासमुंद जिले में बारहवीं कक्षा पढऩे वाले बच्चे प्रथम श्रेणी में अधिक संख्या में पास हुए हैं। लिहाजा माना जा रहा है कि कॉलेज प्रवेश के लिए कट ऑफ अधिक जाएगा। जानकारों का कहना है कि पहले 45 प्रतिशत अंक पाने वाले बच्चों को भी आसानी से कॅालेज में प्रवेश मिल जाता था, इस साल लगभग 85 फीसदी बच्चों का परिणाम 75 से 98 प्रतिशत तक आया है। अत: कॉलेज में प्रवेश के लिए घमासान मचने वाला है।
मालूम हो कि माध्यमिक शिक्षा मंडल ने रविवार को बारहवीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम जारी कर दिए। पिछले 8 साल में यह पहला मौका है, जब जिले में 96.92 फीसदी बच्चे बारहवीं की परीक्षा में सफल रहे। इस वर्ष 11906 में से केवल 256 बच्चे ही फेल हुए हैं। यही नहीं इस साल फस्र्ट डिवीजन से पास होने वाले बच्चों की संख्या भी एकदम से बढ़ गई है। इस साल 11091 बच्चों ने प्रथम श्रेणी से बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। जबकि पिछले साल केवल 2929 बच्चे ही फस्र्ट डिवीजन से पास हुए थे। इसी तरह पिछले 8 साल की तुलना करें तो औसतन 3 हजार बच्चे ही हर साल फस्र्ट डिवीजन से पास होते हैं। फस्र्ट डिवीजन से पास होने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा होने के कारण इस साल केवल 226 बच्चे सेकंड डिवीजन और 6 बच्चे थर्ड डिवीजन से पास हुए हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी राबर्ट मिंज के अनुसार रविवार को सीजी बारहवीं बोर्ड के परिणाम जारी किए गए हैं। इस बार रिजल्ट पूर्व की अपेक्षा बेहतर रहा। इस साल जिले में कक्षा बारहवीं बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए 11 हजार 906 परीक्षार्थियों ने अपना पंजीयन कराया था। इसमें 5247 बालक व 6659 बालिका शामिल थी। 11हजार 810 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए। जिसमें से 11 हजार 682 परीक्षार्थियों का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया। जिले का ओवरऑल परिणाम 96.92 फीसदी रहा।
0 बीते साल बारहवीं की पढ़ाई ऑनलाइन कक्षाओं के भरोसे ही रही। हालांकि अंतिम के एक महीने बच्चों के लिए विशेष क्लासेस का संचालन किया गया। इससे बच्चों की तैयारी बेहतर हुई। लेकिन फस्र्ट डिवीजन से पास होने वालों की संख्या चौंकाने वाली है। एक्सपर्ट की मानें तो बच्चों को प्रश्नपत्र हल करने के लिए पांच दिन का समय मिला। इन 5 दिनों में बच्चों ने पर्चा हल किया और जमा किया। एक्सपर्ट मानते हैं कि परीक्षा केंद्र में पर्चा हल करना और घर में हल करना दोनों में बहुत अंतर होता है, जो परिणाम में साफ नजर आ रहा है-डॉ रमेश देवांगन।
0 ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों को मिनिमम लर्निंग आउटकम नहीं मिला। क्योंकि जिले में कई ऐसे बच्चे हैं, जिनके पास ऑनलाइन क्लासेस के लिए मोबाइल ही नहीं था। ऐसे में बच्चा कैसे पढ़ाई करेगा। इस परिणाम से एक बात साफ है कि जो बच्चे प्रतियोगी परीक्षा को लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। क्योंकि उन्होंने उसी हिसाब से अपनी तैयारी पहले ही शुरू कर ली है-समीर प्रधान।
0 परिणाम जारी होने के बाद अब बच्चों को उच्चतम कक्षाओं के लिए और कड़ी मेहनत करनी होगी। क्योंकि अब कॉलेज में बच्चों को अपने-अपने विषय के प्रति ज्ञान बढ़ाना होगा और इसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी-अम्मी रूफस