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रेलवे जोन मुख्यालय में बैठक के दौरान हंगामा, तीन सांसद प्रतिनिधियों ने किया बहिष्कार
17-Jan-2023 6:26 PM
रेलवे जोन मुख्यालय में बैठक के दौरान हंगामा, तीन सांसद प्रतिनिधियों ने किया बहिष्कार

अफसरों ने बोर्ड में रखने की जगह खुद खारिज कर दिए प्रस्ताव, अजगल्ले की टोका-टाकी से हुए नाराज  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 17 जनवरी।
रेलवे जोन के अधिकारियों ने बिलासपुर रेल मंडल के सांसदों की आज बैठक बुलाई थी। इससे पहले उनसे मांगों और सुविधाओं से संबंधित प्रस्ताव मांगे जा चुके थे। बैठक की शुरुआत में ही अफसरों से सारे प्रस्तावों का जवाब तैयार कर लिया था। इसमें अधिकांश को अलग-अलग कारण बताकर खारिज करने की जानकारी दी गई थी। इसे पढ़ते ही सांसदों के प्रतिनिधि नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि सांसदों के प्रस्ताव पर रेलवे मंत्री या बोर्ड को निर्णय लेने का अधिकार है। वहां भेजे बिना इसे आपने कैसे खारिज किया? इस मुद्दे पर काफी देर तक तीखी बहस हुई। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कोरबा, अंबिकापुर व बिलासपुर के सांसद प्रतिनिधियों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया।

रेलवे जोनल मुख्यालय के अंतर्गत आने वाले तीनों रेल मंडल बिलासपुर, रायपुर और नागपुर मंडल के सांसदों से यात्री सुविधाओं और विकास के बारे में सुझाव लेने के लिए बैठकों का सिलसिला चल रहा है। इस क्रम में आज बिलासपुर रेल मंडल के सांसदों की बैठक बुलाई गई थी। बैठक की अध्यक्षता की जिम्मेदारी जांजगीर-चांपा के सांसद गुहा राम अजगल्ले को दी गई थी। बैठक में रायगढ़ सांसद गोमती साय और शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह भी उपस्थित थीं। अन्य सांसदों ने अपने प्रतिनिधि भेजे थे। बैठक के प्रारंभ में ही सांसदों के प्रस्ताव पर जवाब का बुकलेट उपस्थित सदस्यों को थमा दिया गया। इस पर कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत के प्रतिनिधि हरीश परसाई ने आपत्ति की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आपने हमारे 90-95 फीसदी प्रस्तावों को अपने स्तर पर ही कोई न कोई कारण बताकर रद्द कर दिया है। क्या आपको ऐसा करने का अधिकार है? परसाई ने कहा कि जोन या मंडल स्तर पर सांसद के प्रस्ताव को निरस्त नहीं किया जा सकता। आप हमारे प्रस्ताव के बारे में और अधिक कोई जानकारी चाहे तो ले सकते हैं, पर इन प्रस्तावों का मिनिट्स तैयार करके आपको रेलवे बोर्ड को भेजना होगा। बोर्ड ही तय करेगा कि इनको निरस्त किया जाए या नहीं। पहले से प्रस्तावों को निरस्त करने की मानसिकता बताती है कि आप औपचारिक बैठक ले रहे हैं, जनप्रतिनिधियों की मांगों और सुझावों से आपको कोई लेना-देना नहीं है। आपको हमारे प्रस्तावों पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं।

बैठक की अध्यक्षता कर रहे सांसद अजगल्ले जोन के अधिकारियों के बचाव में बार-बार उतरने लगे तो कोरबा, अंबिकापुर और बिलासपुर सांसद के प्रतिनिधियों ने जानना चाहा कि क्या यह कोई राजनीतिक बैठक हो रही है, जो सरकार या अधिकारियों की तरफदारी की जा रही है। रेलवे अधिकारियों ने पहले से ही मन बना लिया है कि जनप्रतिनिधियों के बताए गए कामों को नहीं करना है। रेलवे को बिलासपुर रेल जोन से 20 हजार करोड़ की आमदनी होती है, जिसमें से अकेले 17 हजार करोड़ रेलवे को कोरबा के कोयले से मिलते हैं। क्षेत्रीय मांगों की उपेक्षा कर नागरिकों को आंदोलन के लिए मजबूर न करें।

रेलवे अधिकारियों ने प्रेजेंटेशन देकर यह बताने का प्रयास किया कि सभी एक्सप्रेस और पैसेंजर गाड़ियों का कोरोना काल के पहले की तरह संचालन शुरू कर दिया गया है। इस पर सांसद प्रतिनिधियों ने विरोध व्यक्त किया और कहा कि दिहाड़ी मजदूरों और रोजाना के व्यावसायिक यात्री तथा नौकरीपेशा लोगों की सुविधा बहाल नहीं की गई है। कटनी, हावड़ा, मुंबई रूट के छोटे स्टेशनों पर अब तक गाड़ियों का ठहराव शुरू नहीं किया गया है। पहले गेवरा तक 8 ट्रेनों का संचालन होता था लेकिन अभी एक भी नहीं चल रही है। अधिकारियों ने जब कहा कि यह बोर्ड का फैसला है तो फिर प्रतिनिधियों ने जानना चाहा कि क्या आपने हमारी इस बारे में की गई मांग को बोर्ड तक पहुंचाया है? अधिकारियों ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।

इस दौरान सांसद अजगल्ले फिर अधिकारियों की तरफदारी करने लगे तो कोरबा, बिलासपुर व अंबिकापुर के सांसद प्रतिनिधियों ने विरोध व्यक्त करते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया।

इधर रेलवे की ओर से जारी प्रेस नोट में यह जानकारी दी गई है कि बैठक सौहार्दपूर्ण और सहयोगात्मक माहौल में हुई। महाप्रबंधक आलोक कुमार और मंडल रेल प्रबंधक प्रवीण पांडेय ने यात्री सुविधाओं और विकास कार्यों से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने अधोसंरचना विकास, गाड़ियों की क्षमता में वृद्धि, मेरी सहेली अभियान, दिव्यांगजन व महिलाओं के लिए बढ़ाई गई सुविधाओं तथा हेल्पलाइन सुविधा आदि की जानकारी दी। 

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