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इटली के अपुलिया में हो रहे जी-7 शिखर सम्मेलन में पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रितानी पीएम ऋषि सुनक से द्विपक्षीय मुलाक़ात की.
ऋषि सुनक के साथ उन्होंने रोडमैप 2030 पर हो रही प्रगति को लेकर चर्चा की. साल 2021 में हुए इस समझौते के तहत दोनों देशों ने जलवायु, स्वास्थ्य, व्यापार, शिक्षा, विज्ञान, तकनीक और रक्षा मामलों में एक दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए काम करने पर सहमति दी थी.
मु्क्त व्यापार समझौते को लेकर दोनों मुल्कों के बीच चल रही बातचीत की प्रगति पर दोनों ने संतोष जताया.
इसके आलावा दोनों ने क्षेत्रीय और आपसी हितों से जुड़े मुद्दों, रक्षा मामलों में औद्योगिक सहयोग बढ़ाने और व्यापार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की.
वहीं फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता होराइज़न 2047 और इंडो पैसिफ़िक रोडमैप को ध्यान में रखकर हुई.
दोनों के बीच रक्षा, परमाणु स्पेस, जलवायु एक्शन, शिक्षा, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी, नेशनल म्यूज़ियम जैसे सांस्कृतिक कदमों के अलावा पीपील टू पीपल संबंधों को मज़बूत करने पर चर्चा हुई.
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के अनुसार दोनों के बीच ये भी सहमति बनी कि दोनों में 'मेक इन इंडिया' पर अधिक ध्यान देने के साथ रणनीतिक रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति हुई है.
साथ ही दोनों मे ये सहमति बनी कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, क्रिटिकल और नई तकनीक, ऊर्जा और स्पोर्ट्स जैसे क्षेत्रों में दोनों आपसी सहयोग बढ़ाएंगे. साल 2025 में फ्रांस संयुक्त राष्ट्र ओशन्स कॉन्फ्रेंस के अलावा आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस पर भी अहम सम्मेलन आयोजित करने वाला है.
दोनों नेताओं में अहम वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बातचीत हुई. दोनों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ग्लोबल ऑर्डल की स्मृद्धि और स्थिरता के लिए दोनों के बीच मज़बूत और भरोसेमद रिश्ते अहम हैं.
किन मुद्दों पर हुई चर्चा
शुक्रवार को जी-7 में औद्योगिक उत्पादन में चीन की अधिक क्षमता के अलावा रूस यूक्रेन युद्ध और रूस को चीन की कथित मदद को लेकर चर्चा हुई.
अमेरिका इससे पहले बार-बार कहता रहा है कि चीन रूस को हथियार तो नहीं दे रहा लेकिन चीनी कंपनियां रूस को नॉन-लीथल सपोर्ट उपलब्ध करा रही हैं.
चीन ने अब तक उन ख़बरों का खंडन किया है कि वो रूस को सैन्य साजो-सामान दे रहा है.
हालांकि जी-7 के सदस्यों के बीच चीन में दी जाने वाली सब्सिडी से निपटने इससे को लेकर मतभेद हैं.
बैठक में ये भी देखा गया कि यूरोपीय देश खुलकर चीन के साथ किसी तरह का व्यापार युद्ध शुरू नहीं करना चाहते. (bbc.com/hindi)