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आपातकाल लगाने वालों को संविधान के प्रति प्रेम जाहिर करने का कोई अधिकार नहीं : प्रधानमंत्री मोदी
25-Jun-2024 11:17 AM
आपातकाल लगाने वालों को संविधान के प्रति प्रेम जाहिर करने का कोई अधिकार नहीं : प्रधानमंत्री मोदी

नयी दिल्ली, 25 जून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों ने आपातकाल लागू कर बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को कुचला, उन्हें संविधान के प्रति प्रेम जाहिर करने का कोई अधिकार नहीं है।

आपातकाल की बरसी पर मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक के बाद एक पोस्ट में कहा कि जिस मानसिकता के कारण देश में आपातकाल लगाया गया था, वह आज भी उस पार्टी में जीवित है जिसने इसे लागू किया था।

उन्होंने कहा, "वे अपने प्रतीकवाद के माध्यम से संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत के लोगों ने उनकी हरकतों को देखा है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार खारिज किया है।"

मोदी ने कहा कि आज का दिन उन सभी महापुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का है जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था।

उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने आपातकाल लगाया, उन्हें हमारे संविधान के प्रति अपने प्रेम को जाहिर करने का कोई अधिकार नहीं है। ये वही लोग हैं जिन्होंने असंख्य मौकों पर अनुच्छेद 356 लगाया, प्रेस की स्वतंत्रता को नष्ट करने के लिए एक विधेयक लेकर आए, संघवाद को नष्ट किया और संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया।"

उन्होंने कहा, "आपातकाल के काले दिन हमें याद दिलाते हैं कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के उस संविधान को कुचला जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल सत्ता से चिपके रहने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रत्येक लोकतांत्रिक सिद्धांत की अवहेलना की और राष्ट्र को कारागार बना दिया।

उन्होंने कहा, "जो भी व्यक्ति कांग्रेस से असहमत होता था, उसे प्रताड़ित किया जाता था। सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाते हुए सामाजिक रूप से उन्हें नुकसान पहुंचाने वाली नीतियां शुरू की गईं।"

साल 1975 में 25-26 जून की दरम्यानी रात से 21 मार्च 1977 तक (21 महीने के लिए) भारत में आपातकाल घोषित किया गया था।

तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी।

स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक समय था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए थे और सभी नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया था। (भाषा)

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