राजनांदगांव

नांदगांव वन मंडल का अस्तित्व बचाने खैरागढ़ रेंज के विभाजन की तैयारी
02-Dec-2021 7:45 PM
नांदगांव वन मंडल का अस्तित्व बचाने खैरागढ़ रेंज के विभाजन की तैयारी

बोरतलाव से ढारा तक का जंगल नांदगांव के अधीन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 2 दिसंबर।
राजनांदगांव वन मंडल के अस्तित्व को बचाने के लिए खैरागढ़ वन मंडल में विभाजन की तैयारी है। मोहला-मानपुर के पृथक जिला निर्माण का सर्वाधिक असर नांदगांव वन मंडल के सीमा क्षेत्र पर पड़ा है। मोहला-मानपुर रेंज इसी जिले का हिस्सा हो जाएगा। ऐसे में नांदगांव वन मंडल की सीमा बेहद ही छोटी हो जाएगी। इस लिहाज से अब  खैरागढ़ वन मंडल को बांटकर नांदगांव वन मंडल के वजूद को बरकरार रखने की प्रशासनिक कोशिश शुरू हो गई है। एक जानकारी के मुताबिक खैरागढ़ वन मंडल के दक्षिणी क्षेत्र बोरतलाव के जंगल को नांदगांव वन मंडल से जोड़ा जाएगा।

मिली जानकारी के मुताबिक बोरतलाव के उत्तर और दक्षिण वन परिक्षेत्र के अलावा काष्ठागार और उत्पादन रेंज को भी राजनांदगांव वन मंडल का हिस्सा बनाया जाएगा। खैरागढ़ के वन सीमा का विभाजन करने का प्रस्ताव शासन स्तर पर विचाराधीन है। मिली जानकारी के मुताबिक विभाजन की सूरत में खैरागढ़ वन मंडल का 36 हजार हेक्टेयर हिस्सा राजनांदगांव वन मंडल में शामिल हो जाएगा। इस तरह कुल एक लाख 31 हजार हेक्टेयर वाले खैरागढ़ वन मंडल का दायरा लगभग 95 हजार हेक्टेयर तक सीमित हो जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि मोहला-मानपुर के अलग होने के बाद से शासन स्तर पर राजनांदगांव वन मंडल के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उपाय ढूंढा जा रहा था। शासन ने अब बोरतलाव के जंगली सीमा को नांदगांव से जोडऩे को एक बेहतर निर्णय माना है। नांदगांव वन मंडल में छुरिया और खुज्जी का ही एक छोटा हिस्सा वन भू-भाग के रूप में बचा है। ऐसे में जिला मुख्यालय में डीएफओ रेंज के औचित्य को लेकर भी चर्चाएं चल रही थी।

मिली जानकारी के मुताबिक खैरागढ़ के विभाजन के बाद भी इस वन मंडल में घनघोर और पठारी जंगल होने से विभागीय कामकाज पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। खैरागढ़ वन मंडल के साल्हेवारा, बकरकट्टा, गातापार, कटेमा इलाके में प्रचुर मात्रा में वन संपदाएं हैं। ऐसे में प्रशासनिक दृष्टिकोण के लिहाज से खैरागढ़ वन मंडल की अहमियत बरकरार रहेगी।  सूत्रों का कहना है कि बोरतलाव और ढ़ारा के भवानी मंदिर के हिस्से को नांदगांव वन मंडल से जोड़ा जाएगा। विभाजन पर नीतिगत निर्णय हो चुका है। जिले के रूप में मोहला-मानपुर के अस्तित्व में आने के साथ ही खैरागढ़ वन मंडल के विभाजन के आशय से जुड़े आदेश भी जारी होंगे।

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