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महासमुन्द के नानकसागर की को दो हेक्टेयर भूमि गुरुनानक देव के नाम सैकड़ों साल पूर्व से दर्ज
08-Dec-2021 9:48 PM
महासमुन्द के नानकसागर की को दो हेक्टेयर भूमि गुरुनानक देव के नाम सैकड़ों साल पूर्व से दर्ज

  पर्यटन क्षेत्र घोषित करने की मांग होने लगी  

रजिंदर सिंह खनूजा

पिथौरा,  8 दिसंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। महासमुन्द जिले के बसना विकासखण्ड के गढफ़ुलझर के समीप स्थित नानकसागर ग्राम की को दो हेक्टेयर भूमि सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देवजी के नाम सैकड़ों साल पूर्व से दर्ज है। अब इस स्थान की जानकारी सिख समाज को होते ही नानकसागर को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने की मांग होने लगी है। सिखों के प्रथम गुरु के रुकने के इस ऐतिहासिक स्थान गुरुद्वारा, स्कूल-कॉलेज एवं अस्पताल खोलने हेतु सिख समाज संकल्पित हुआ है।

महासमुंद जिले के बसना तहसील अंतर्गत बसना पदमपुर मार्ग पर 16 किमी दूरी पर बसा है नानकसागर ग्राम। इस ग्राम के नाम से ही लगता था कि इस ग्राम का सम्बन्ध सिक्खों के प्रथम गुरु से होगा। लिहाजा क्षेत्र के कुछ जानकर लोगो ने इसकी पड़ताल प्रारम्भ की। पड़ताल में एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि नानक सागर में कोई पांच एकड़ भूमि राजस्व रिकॉर्ड में श्री गुरुनानक देव जी के नाम से दर्ज है। जिसके सर्वराकार जसपाल सिंह का नाम है, जबकि प्रबंधक कमलसिंह कलेक्टर का नाम दर्ज देखा गया। इस जानकारी के बाद रायपुर के सिख समाज के एक युवा रिंकू ओबेरॉय ने इसकी गहन पड़ताल कर इतिहास खंगाल कर इस ग्राम की खासीयत सबके सामने पेश की। इसके बाद छत्तीसगढ़ सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उक्त स्थान पर एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा बनाने का प्रण लिया है।

फुलझर के राजा ने दी थी जमीन-रिंकू
 गढफ़ुलझर के समीप नानकसागर में श्री गुरुनानक देव जी के रुकने के कुछ प्रमाण मिले हैं। इसके बारे में रायपुर के युवा रिंकू ओबेरॉय ने बताया कि आज से सैकड़ों साल पहले श्री गुरु नानक देव जी छत्तीसगढ़ में आए थे। इतिहास के पन्ने पलटनेे से पता चला कि पूर्व में यहां 36 स्टेट थे और 36 राजा थे, जिसमें से एक गढफ़ुलझर स्टेट भी था। जिसका राजा का नाम मानसराज सागरचंद भैना था, जिसे आज मंझला  राजा के नाम से क्षेेेत्र में पूजा जाता है। वह आस्था का प्रतीक है।

ग्राम नानक सागर के चार बार सरपंच रह चुके संवर्धन प्रधान ने बताया कि उनके पूर्वजों से ग्रामवासियों को यह जानकारी मिली थी कि श्री गुरुनानक देव जी जगन्नाथ पुरी से कटक होते हुए अमरकंटक जबलपुर गए थे, तब गढफ़ुलझर में 2 दिन रूके थे। गढफ़ुलझर के राजा ने उनकी 2 दिन सेवा संभाल की थी। इस दौरान गुरु नानक की वाणी से रााजा अत्यधिक प्रभावित हुए थे। इसके बाद गुरुनानक देव जी के वहां से आगे बढ़ते ही  भैना राजा ने निशानी के तौर पर उनके नाम से करीब 5 एकड़ जमीन कर दी। गढफ़ुलझर में जहां राजा का महल था, वहां मानसरोवर  से लगी हुई करीब 5 एकड़ जमीन आज भी श्री गुरु नानक देव जी के नाम से है और जहां रानी का महल है वहां भी एक तालाब है तालाब के किनारे वहां रानी सागर के नाम से गांव था। जिस को राजा ने नानक सागर के नाम से प्रचलित किया नानक सागर गांव आज भी वहां पर हैं।

ग्राम के सभी मकान गुलाबी
‘छत्तीसगढ़’ ने नानक सागर गांव का दौरा किया। इस गांव में अनुशासन एवम साफ सफाई देखते बनती है। यहां जितने भी घर हैं, वह गुलाबी रंग के हैं। इस गांव को साफ सफाई के नाम से राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका है। यहां पर राजा के समय से बहुत ही प्रसिद्ध रमचंडी मंदिर भी है।

सिक्खों के प्रथम गुरु के भारत भ्रमण के दौरान छत्तीसगढ़ में रुकने के प्रमाण मिलने के बाद यहां सिख समाज के लोग दूर-दूर से पहुंचने लगे हंै। दिल्ली निवासी देवेंद्र सिंह ओबेरॉय ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि वे व्यवसायी है। उनके पुत्र विजयनगरम में ऑटो पार्ट्स का व्यवसाय करते हंै। विगत 28 फरवरी के पहले उनके पुत्र ने रायपुर के रिंकू से मिली जानकारी के बारे में उन्हें बताया था। इसके बाद वे 28 फरवरी को अपना जन्मदिन मनाने नानकसागर गए थे। वहां जाने के बाद उन्हें एक अजीब सा सुकून मिला। इसके बाद वे लगातार पखवाड़े भर के अंतराल में गढफ़ुलझर जाते रहे। उन्हें वहां कुछ खासियत लगी, तब उन्होंने क्षेत्र के सिख समाज से धन एकत्र कर गढफ़ुलझर में एक गुरुद्वारा का निर्माण करवाया है।

श्री आनन्द ने एक चौंकाने वाली बात बताई। उनके अनुसार वे कैंसर से पीडि़त से इस स्थान पर वे गुरु के दर्शन के लिए ही आये थे, इसके बाद वे लगातार यहां आते रहे। कुछ दिन पूर्व ही वे आने डॉक्टर के पास कैंसर की जांच के लिए गए थे परन्तु वे यह देख कर चौंक गए कि उनको अब कैंसर है ही नहीं। इस बात को वे गुरु की महिमा ही मानते हंै। उनका कहना है कि विश्वास से उन्होंने कैंसर पर भी विजय प्राप्त कर ली।

ग्राम में पुलिस राजस्व का कोई मामला नहीं
 नानकसागर ग्राम के 20 वर्ष तक सरपंच रह चुके सुवर्धन प्रधान बताते हंै कि उनके ग्राम में जिस स्थान पर श्रीगुरुनानक देव जी रुके थे, अब उस स्थान का नाम नानक डेरा रखा गया है। इतिहास गवाह है कि उनके होश संभालने के बाद से वे देखते आये है कि ग्राम के बड़े से बड़े विवाद नानक डेरा में बैठक लेकर निपटा दिए जाते हैं। इस ग्राम के किसी भी निवासी पर न कभी कोई पुलिस का मामला दर्ज हुआ है ना ही कोई राजस्व का ही मामला है। वर्तमान सरकार द्वारा नरवा गरवा घुरवा बारी योजना में ग्रामवासियों के बीच विवाद की स्थिति बनी थी परन्तु नानक डेरा में सभी पक्षों को बैठाकर ज़ब चर्चा की गई तब आश्चर्यजनक तरीके से उलझा मामला भी आसानी से सुलझ गया। अब ग्रामीण भी चाहते हैं कि अब यहां श्री गुरुनानक देव जी का गुरुद्वारा बने साथ ही अस्पताल और स्कूल कॉलेज बने।शासन को इस क्षेत्र के पर्यटन क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए।

 महेंद्र छाबड़ा भी पहुंचे नानकसागर
 नानकसागर ग्राम के बारे में चर्चा प्रारम्भ होने के बाद मंगलवार को प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेंद्र छाबड़ा भी गढफ़ुलझर पहुंचे। छत्तीसगढ़ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों ने भी उक्त ऐतिहासिक स्थल का निरीक्षण किया। निरिक्षण के बाद श्री छाबड़ा ने उपस्थित सामाजिक एवम ग्रामीणों को बताया कि वे इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के लिए प्रदेश के मुखिया से चर्चा करेंगे।

इस संबंध में गढफ़ुलझर गुरुद्वारा में ही एक बैठक भी आयोजित की गई जिसमें प्रदेश गुरुद्वारा कमेटी से स्टेशन रोड गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष निरंजन सिंह खनूजा, कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह छाबड़ा,सतपाल सिंह सिंह खनूजा, गुरमीत सिंह गुरुदत्ता,कुलवंत सिंह खनूजा, अरविंदर छाबड़ा,मंजीत सिंह सलूजा,बंटी चावला, हरजीत सिंह कलसी,मंजीत सिंह अहलूवालिया,एवम रोमी सलूजा सहित सैकड़ों ग्रामीण एवम सिख समाज के सदस्य एवं महिला सदस्य उपस्थित थे।

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