राजनांदगांव

खैरागढ़ में कांग्रेस की जीत से ज्यादा भाजपा पार्षदों को मिल रही शाबासी
06-Jan-2022 1:06 PM
खैरागढ़ में कांग्रेस की जीत से ज्यादा भाजपा पार्षदों को मिल रही शाबासी

   भाजपा पार्षद रहे एकजुट  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 6 जनवरी।
प्रतिष्ठापूर्ण खैरागढ़ नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस को मिली जोरदार कामयाबी से ज्यादा भाजपा पार्षदों की अपने पार्टी के प्रति निष्ठा सियासी हल्के में चर्चा का विषय है। भाजपा पार्षदों को पार्टी के प्रति समर्पण भाव से चौतरफा शाबासी मिल रही है। कांग्रेस ने भाजपा के कुछ पार्षदों को अपने पाले में रखने के लिए पूरजोर कोशिश की थी।  

चर्चा है कि कांग्रेस के साथ कुछ भाजपा पार्षदों को पुराने संबंधों और अन्य वजहों से जुडऩे के लिए आला नेताओं ने पेशकश की थी। सत्तारूढ़ कांग्रेस अपने संसाधन और साधनों के जरिये भाजपा पार्षदों पर डोरे डाल रही थी। सूत्रों का कहना है कि चुनाव की तारीख से कुछ दिन पहले भाजपा के एक पार्षद निष्ठा डांवाडोल हो गई थी। वह कुछ दिनों तक पार्षदों से अलग भी हो गया था। आखिरकार वह आला नेताओं के हस्तक्षेप के बाद पार्टी पार्षदों के साथ जुड़ गए।

राजनीतिक रूप से इस चुनाव में कई तरह की अटकलें लग रही थी। भाजपा के पार्षदों का साथ मिलने की उम्मीद पाले बैठी कांग्रेस को मतदान के दौरान बराबरी का सामना करना पड़ा। आखिरकार भाजपा पार्षदों ने अपने पार्टी का मान रखते हुए कांग्रेस के साथ डटकर मुकाबला किया। नतीजतन भाजपा से क्रॉस वोटिंग नहीं होना कांग्रेस को अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की कुर्सी नहीं मिली। दोनों दल के मत का आंकड़ा समान होने के कारण प्रशासन ने लॉटरी के जरिये नतीजों का ऐलान किया, जिसमें कांग्रेस को तकदीर का साथ मिलने से दोनों पद पर कब्जा करने का मौका मिला। भाजपा लॉटरी सिस्टम से भले ही कांग्रेस से हार गई, लेकिन पार्टी पार्षदों की निष्ठा ने राजनीतिक दलों को संदेश दिया है। भाजपा पार्षदों ने  आखिरी दम तक अपना ईमान को अडिग रखा। यही कारण है कि कांग्रेस से मिली पराजय के बजाय लोगों में पार्टी पार्षदों की समर्पित सोच की चौतरफा तारीफ हो रही है। भाजपा ने विपरीत परिस्थितियों में अपने पार्षदों को संगठित रखकर यह साफ कर दिया कि नवनिर्वाचित पार्षदों की राजनीतिक समझ बेहद सशक्त है। जनता से मिले जनादेश का पार्षदों ने पूरा सम्मान किया है। खैरागढ़ नगर पालिका में भाजपा पार्षदों के एका से सत्तारूढ़ कांग्रेस को हमेशा जनहित के मुद्दों पर संघर्ष करना पड़ेगा। भाजपा पार्षदों के पार्टी के प्रति कड़े समर्पण से अगले 5 वर्षों तक कांग्रेस के नीतिगत मुद्दों को लेकर मुखर रहने का अपना इरादा भी जाहिर कर चुके हैं।

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