रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 7 जनवरी। शासन के आदेश पर आखिरकार डोलोमाइट खनिपट्टों के लिए आए ट्रिगर पर जांच प्रारंभ हो गई है। बुधवार को बरमकेला के बिलाईगढ़ में रायगढ़ मिनरल्स प्रा.लि. की जांच करने खनिज विभाग की टीम पहुंची। यहां लीज एरिया से बाहर इस कदर अवैध खनन किया गया था कि पटवारी भी तुरंत लीज की सीमा नहीं बता सका। नापजोख के बाद अवैध खनन की रिपोर्ट पूरी होगी।
गौण खनिज की खदानों को दुरुस्त करने की जरूरत आ पड़ी है क्योंकि सालों से चल रहे लीज की कोई सीमा ही निश्चित नहीं है। लीज होल्डरों ने मनमाने तरीके से किसी की भी जमीन पर खनन कर लिया है। स्थानीय लोगों का सपोर्ट होने के कारण अवैध खनन नहीं रुकता। लीजधारक खनन का ठेका इन्हीं लोकल लोगों को देते हैं ताकि कोई उन पर उंगली नहीं उठा सके। सरकार ने माइनिंग सर्विलांस सिस्टम लागू करने की मंशा जताते हुए 2018 में छग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के जरिए रायगढ़, बिलासपुर और महासमुंद जिलों की 38 खदानों के नक्शे का डिजिटाइजेशन और जियोरिफ्रेंसिंग का काम पूरा किया था। इसके ट्रिगर संचालनालय को भेजे गए थे।
उत्खनिपट्टों के सैटेलाइट इमेज देखने पर कोऑर्डिनेट के हिसाब से वास्तविक स्थिति का मिलान किया गया तो इसमें बहुत ज्यादा अंतर मिला है। संचालनालय ने खनिज विभाग को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था। बुधवार को उप संचालक खनिज के आदेश पर टीम ग्राम बिलाईगढ़ के रायगढ़ मिनरल्स प्रालि पहुंची। संचालक कमल शर्मा निवासी खरसिया को बिलाईगढ़ में 4.659 हे. भूमि पर लीज मिली है जिसकी अवधि 2067 तक है। जांच के दौरान हल्का पटवारी भी मौजूद था।
मिली जानकारी के मुताबिक पटवारी भी लीज की सीमा को बता पाने में नाकाम रहा। नापजोख के बाद प्रतिवेदन मिलेगा। यहां जांच में 11 जगहों पर अवैध खनन होना पाया गया है। करोड़ों की राजस्व चोरी डोलोमाइट की अवैध खदानों से पर्यावरण को नुकसान तो होता ही है, साथ ही करोड़ों के राजस्व की चोरी भी की जाती है। बुधवार को रायगढ़ मिनरल्स की जांच की गई।
ट्रिगर में पता चला है कि लीज के 500 मीटर के दायरे में करीब 11 प्वाइंट पर अवैध खदानें हैं। ये सभी खदानें लीज एरिया से लगी हुई हैं। देखने में ऐसा लगता है कि यह भी लीज का ही हिस्सा हैं। लीज एरिया में कितना खनन हुआ, इसका एक आकलन जांच में किया जा सकता है।