बीजापुर
कलेक्टर से मिलकर जांच का किया आग्रह, विधायक-पूर्व विधायक को भी घेरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 20 जनवरी। आवापल्ली से उसूर सडक़ में हुए भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा के बाद अब जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे ने भी मोर्चा खोल दिया हैं। जेसीसीजे ने इस मामले में स्थानीय विधायक व पूर्व विधायक को घेरते हुए सवाल उठाए हैं, वहीं पार्टी नेताओं ने कलेक्टर को ज्ञापन सौपकर एक सप्ताह में जांच कर कार्रवाई का आग्रह किया है।
यहां पत्रकार भवन में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रदेश संयुक्त महासचिव नरेंद्र भवानी ने पत्रवार्ता लेकर कहा कि आवापल्ली से उसूर सडक़ में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। नौ करोड़ की लागत वाली साढ़े 12 किमी की इस सडक़ से डामर गायब हो गई है। अब इसमें सिर्फ गिट्टी ही दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि नक्सल क्षेत्र में भ्रष्टाचारियों का बोलबाला हैं। इस पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है।
उन्होंने कहा कि बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व स्थानीय विधायक विक्रम मंडावी की इस पर जवाबदेही बनती है। उन्हें आगे आना चाहिए, लेकिन वे खामोश है। उन्होंने इस मामले में पूर्व विधायक महेश गागड़ा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वे जनता को गुमराह कर रहे है। पूर्व मंत्री इतने दिनों तक चुप रहे और इस मामले को लेकर सीधे प्राथमिकी दर्ज कराने चले गए।
श्री भवानी ने इस मामले में प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के ऊपर अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि जेसीसीजे ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर एक सप्ताह के भीतर मामले में जांच दल गठित कर जांच शुरू कर इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने का आग्रह किया है। साथ ही रिकवरी की मांग भी की है। अन्यथा जेसीसीजे कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
श्री भवानी ने आगे कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद विधिवत प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने की सूरत में न्यायालय में परिवाद दायर कर भ्रष्टाचार को उजागर किया जाएगा। पत्रकारवार्ता में जेसीसीजे के जिला उपाध्यक्ष चलमैया अंगनपल्ली, रामचन्द्र एरोला, बालकिशन बजाज, रौशन झाड़ी, चंद्रशेखर अंगनपल्ली व कमलेश तेलम मौजूद रहे।
गारंटी को किया दरकिनार
पत्रकारवार्ता में जेसीसीजे के प्रदेश संयुक्त महासचिव नरेंद्र भवानी ने कहा कि विभाग ने अपने चेहते ठेकेदार को फायदा पहुंचाने पेंच वर्क में काम देकर रफा दफा करने की कोशिश की गई। जबकि कोई निर्माण में पांच की गारंटी होती हैं। बावजूद भ्रष्टाचार को अंजाम देने इस नियम को ही दरकिनार कर दिया गया।