गरियाबंद

लंग्स कैंसर से पीडि़त होने पर भी लोक कला मंच का सफर जारी रखा महेश वर्मा ने
19-Feb-2022 4:12 PM
लंग्स कैंसर से पीडि़त होने पर भी लोक कला मंच का सफर जारी रखा महेश वर्मा ने

मेहनत और लगन से कला की बारीकियों को समझें नए कलाकार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजिम, 19 फरवरी। छत्तीसगढ़ी बोली भाषा और रहन-सहन आचार व्यवहार और वेशभूषा सहज ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। दूर-दूर तक इसकी ख्याति फैली है। वैसे में छत्तीसगढ़ की प्रयाग नगरी राजिम में प्रतिवर्ष होने वाले माघी पुन्नी मेला में सैकड़ों लोग आते है और सांस्कृतिक मंच पर हो रहे छत्तीसगढ़ की संस्कृति को देखकर बहुत ही खुश होते है।

सांस्कृतिक आयोजन में कलाकारों द्वारा विलुप्त हो रही कला को जिसमें कर्मा, सुआ, ददरिया, पंथी, पंडवानी, राउतनाचा, डंडा नृत्य, देवार नृत्य को संरक्षित रखने का कार्य छत्तीसगढ़ शासन कर रही है, जिससे आने वाली युवा पीढ़ी इसका अनुकरण कर सके। मीडिया से चर्चा के दौरान लोक मया मंच कुम्हारी के संचालक महेश कुमार वर्मा ने बताया कि मेरे द्वारा एक था गधा, लक्ष्मी वैष्णव, अपोलो हास्पीटल, मैं बिहार से चुनाव लडूंगा आदि का नाट्कीय रूपांतर किया गया।

 लगभग 30-35 वर्षो से प्रस्तुतीकरण किया जा रहा है। आगे बताया कि छत्तीसगढ़ थियेटर में स्क्रिप्ट लेखन कार्य भी मैनें किया है। प्रसिद्ध जसगीत तोला बंदौ ओ दाई तोला बंदौ.... का लेखन वे स्वयं किये है। इसके टीम में कुल 25 सदस्य है। सर्वगुणों से संपन्न छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कलाकार महेश वर्माजी आकाशवाणी रायपुर में उद्घोषक के रूप में भी कार्य किये है। श्रम साहित्य रत्न पुरूस्कार मध्यप्रदेश से सम्मानित हुए।

टीम के गायक राजेन्द्र साहू, गंगाराम साहू सीता वर्मा, रीता निषाद और साथ में 6 साल की बच्ची भी है। बहुत मार्मिक ढंग से चर्चा करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति से इतना जुड़ाव है कि लंग्स कैंसर से पीडि़त होने पर भी रूके नहीं पूरे देश में लगातार प्रोग्राम कर रहे है। लगभग 50 टेलीफिल्म के लेखक रह चुके है जिसमें अपराजिता, नैना, गोपीचंदा, लड्डू आदि है।

भोपाल के प्रमुख हिंदी थियेटर के डायरेक्टर अलखनंदन, दिनेश दीक्षित, एक.के.रैना के बैनर तले नाटककार के रूप में काम किये है। नये कलाकारों को संदेश देते हुए कहा कि वे पूरी मेहनत व लगन से कला को सीखें उनकी बारिकियों को समझे। पहले और अब के कला मंच में अंतर बताते हुए कहा कि पहले की कला जन कल्याण के लिए होता था, लेकिन अब की कला व्यवसाय बन चुका है।

आज महेश वर्मा किसी परिचय का मोहताज नहीं है, उन्हें उनके मंचन में अभिनय के कारण मंगलू भैय्या व कल्लू दादा के नाम से भी जाना जाता है। मुख्यमंच पर प्रस्तुति देकर हम गदगद हो गये, वैसे तो हर वर्ष यहां आते है। इस वर्ष मुख्यमंच बहुत ही आकर्षक लगा और यहां की व्यवस्था पहले से बहुत अच्छा लगा। मीडिया सेंटर के संचालक श्रीकांत साहू, रोशन साहू, युवराज साहू, योगेश साहू ने पुष्प एवं फोटोफ्रेम भेंट कर सम्मानित किया। 

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