गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। भगवान राजीव लोचन मंदिर के प्रवेश द्वार से लगा हुआ साक्षी गोपाल का मंदिर दो खंभों में टीका हुआ है। विग्रह बढ़ते क्रम है, सबसे ऊपर में साक्षी गोपाल भगवान विराजमान है। मोरपंख लगाए हुए मुख की शोभा श्रद्धालुओं को खासा प्रभावित कर रही है। बताते है कि ईश्वर से याचना करने पर उनके साक्षी, साक्षी गोपाल ही रहते है। पुजारी अविनाश राजपूत ने बताया कि साक्षी गोपाल का मंदिर उडी़सा के जगन्नाथ मंदिर में है उसके बाद राजिम के श्रीराजीव लोचन मंदिर में स्थापित है। विग्रह अत्यंत मनमोहनी है। श्रद्धालुगण देवदर्शन पश्चात् मनोकामना को दोहराने के लिए यहां जरूर पहुंचते है।
आमतौर पर देखा जाता है कि देव गर्भगृह में एक या फिर दो देव ही रहते है परंतु यहां छ: देव जिनमें साक्षी गोपाल के अलावा विष्णुजी, बालाजी, राहू, केतु एवं शनिदेव प्रतिष्ठित है। सामने खंभे पर भैरवबाबा के साथ ही ऊपरी छोर पर बालि-सुग्रीव को युद्ध करते हुए दिखाया गया है। पूरे छत्तीसगढ़ में साक्षी गोपाल का यह मंदिर अत्यंत अनोखा है। जानकारी के अनुसार 8वीं शताब्दी में भगवान श्रीराजीव लोचन का मंदिर बनाया गया, तब समूह के अंतर्गत इस मंदिर को आकार दिया गया।
अत: यह श्रीराजीव लोचन मंदिर के समकालिन बनाया गया है। बताना जरूरी है भगवान श्रीराजीव लोचन मंदिर के चारों कोण में वराह अवतार, बद्री अवतार, वामन अवतार एवं नृसिंह अवतार के चारों धाम स्थापित है जिनके मध्य में साक्षी गोपाल का मंदिर है। मंदिर चतुर्भुजाकार है, खंभों के सहारे ललाटबिम्ब शोभा पा रहे है। यहां देशभर से लोग प्रतिदिन दर्शन पूजन के लिए पहुंचते है। मेला के तीसरे दिन भी श्रद्धालु दर्शन पूजन करते रहे। इस संबंध में महेन्द्र सिंह ठाकुर ने बताया कि सुबह-शाम दो बार पूजन के बाद भोग प्रसादी चढ़ाया जाता है। मंदिर ट्रस्ट के सहव्यवस्थापक सुनील शर्मा ने कहा कि भक्तगण यहां दर्शन करने के बाद प्रसन्न हो जाते है जो उनके चेहरे से स्पष्ट रूप से झलकती है।