गरियाबंद
गीत व नृत्य में दिखी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी। माघी पुन्नी मेला के मुख्यमंच पर मंगलवार को चेतन देवांगन द्वारा पंडवानी गायन की हुई। जिसमे उसने वेदमती शैली का उपयोग करते हुए किच्चक वध कि व्याख्यान दी। मंच पर दूसरी प्रस्तुति रेखा जलक्षत्री द्वारा भरथरी की प्रस्तुति दी। जिसमें उज्जैन के राजा भरथरी और रानी श्यामकुमारी की प्रेम कहानी का वर्णन उल्लेख किया, जिसमें राजा भरथरी योगी बन जाते है और लंबे समय के बाद अपनी नगरी उज्जैन आते है और रानी श्यामकुमारी से भिक्षा मांगते है तो रानी भिक्षा देने से मना कर देते है लेकिन अंत में भिक्षा देनी पड़ती है। रेखा जलक्षत्री के द्वारा महर-महर महके हे राजिम.... रानी चले योगी पास ओ रामा... रघु मैं अनाथ हूं जैसे गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों से खुब तालियां बटोरी। सांस्कृतिक मंच पर कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति खरोरा से आये लोकमंच महतारी के चंद्रभूषण वर्मा ने राजकीय गीत अरपा पैरी के धार...के साथ अपने कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होंने बाराहमासी त्योहार जिसमें हरेली, भोजली, सुवा नृत्य, गौरी गौरा और राऊत नाचा आदि गीतों की झड़ी लगा दी। खन खन बइला केे घुंघरू बाजत हे... गीत की प्रस्तुति दी।
चंद्रभूषण वर्मा ने कर्मा के ताल म मादर के थाप म... मै मनिहारी वाला बाबू हो... जैसे गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया। कार्यक्रम का संचालन निरंजन साहू, मनोज सेन और रूपा साहू द्वारा किया। कलाकारों का सम्मान केन्द्रीय समिति के सदस्यगण, पत्रकारगण एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा किया गया।
राजिम माघी पुन्नी मेला में मुख्यमंच पर प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत शाम 5.30 बजे से प्रारंभ होता है, जो रात्रि 10 बजे तक चलता है। इस दौरान प्रदेश के सुप्रसिद्ध लोकमंच, पंडवानी, भरथरी, पंथी आदि की प्रस्तुति होती है। इसी कड़ी में 24 फरवरी को 7.30 से 10 बजे तक मुख्य आकर्षण पता दे जा रे पता ले जा रे गाड़ीवाला की गायिका कविता वासनिक राजनांदगांव की रहेगी। वहीं 6 बजे से 7.30 बजे तक पप्पू चंद्राकर लोकमंच की प्रस्तुति देंगे।