गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 24 फरवरी। माघी पुन्नी मेेला के आठवें दिन मुख्यमंच पर पद्मश्री राधेश्याम बारले एवं कलाकारों द्वारा वेशभूषा के साथ करतब दिखाते हुए पंथी नृत्य प्रस्तुत किया। अगले प्रस्तुति के रुप में अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार... काकर हाथ मे चउर, काकर हाथ मे तेल..., बिजली बरसे तोर नजर म... , मीठ बोली के खवा दे मोहनी... के साथ ही हिन्दी गीतो में पढऩे में नहीं लागे दिल... ये करिया बादर झमाझम बरसे... आदि गीतों के द्वारा दर्शकों का मनोरंजन किया। अगली कड़ी में लोकमंच लहर गंगा की प्रस्तुति हुई जिसमें ग्राम के देवी देवताओं को निमंत्रण देते हुए शीतला माता तोर जस गाओं ओ... इस गीत के साथ हमर छश्रीसगढ़, सुघ्घर छश्रीसगढ़... के द्वारा छश्रीसगढ़ के संस्कृति और कला को मंच में बिखेरा। जिसे दर्शक देख कर आनंदित हो उठा। अंतिम प्रस्तुति के रूप में जंगल को बचाने के उद्देश्य से लोककला मंच लहर गंगा के कलाकारों ने तोर मया अब्बड़ नीक लागे.... की प्रस्तुति दी। जिसे दर्शकों का तालीरूपी स्नेह भी प्राप्त हुआ। पुरूषोश्रम चन्द्राकर कार्यक्रम संयोजक मंच संचालन निरंजन साहू मनोज सेन ने किया।
25 फरवरी को लोकरंग दीपक चंद्राकर अर्जुन्द्रा का कार्यक्रम रहेगा मुख्य आकर्षण
राजिम माघी पुन्नी मेला के मुख्य मंच पर 25 फरवरी शुक्रवार को लोकरंग दीपक चंद्राकर अर्जुन्द्रा का कार्यक्रम मुख्य आकर्षण रहेगा। मंच पर लोक सरगम हिन्मत सिन्हा छुईहा की भी प्रस्तुति होगी। ज्ञात हो कि राजिम माघी पुन्नी मेला में प्रतिदिन छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कलाकरों की प्रस्तुति हो रही है। जिसे देखने बड़ी संख्या में दर्शकों की भीड़ इक_ा हो रही है। वहीं कार्यक्रम का लाईव प्रसारण भी किया जा रहा है।