गरियाबंद

धार्मिक नगरी राजिम में लगा भक्तों का रेला
28-Feb-2022 3:11 PM
धार्मिक नगरी राजिम में लगा भक्तों का रेला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 28 फरवरी।
माघी पुन्नी मेला में प्रतिदिन श्रद्धालुगण स्नान के साथ मंदिर दर्शन में अपना पूरा समय दे रहे हैं। यहां आने के बाद सबसे पहले संगम में डुबकी लगाते है। नदी में स्नान का अपना अलग महत्व होता है। शस्त्रों में प्रयागराज में स्नान की महिमा बताई जाती है। राजिम छत्तीसगढ़ का प्रयाग है। जिस भांति उश्रर प्रदेश के प्रयाग में भक्तगण धार्मिक कृत्य कर पवित्रता महसूस करते हैं। उसी भांति इस भूमि में कदम रखते ही सबसे पहले नतमस्तक करना नहीं भूलते।

हरि और हर की नगरी के नाम से भी इन्हें जाना जाता है। भगवान विष्णु श्रीराजीवलोचन के रूप में विराजमान है। लोककथा के अनुसार सतयुग में राजा रत्नाकर ने जिनके यज्ञ से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्हें दो वरदान दिये जिनमें पहला श्रीराजीव लोचन के रूप में यहां सदा विराजमान रहने की तथा दूसरा मेरे बाद मेरे आने वाले वंशज आपके पूजा अर्चना तथा सेवा करते रहने की। इसी भांति त्रेतायुग वनवास काल के दौरान आयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट दशरथ पुत्र राम, पुत्रवधु सीता एवं छोटे भाई लक्ष्मण नदी मार्ग से होते हुए महर्षि लोमष से मिलने कमलक्षेत्र पहुंचे और चौमासा व्यतित कर यहां विद्यमान असुरी शक्तियों का समूल नाश किया।

इसी समय देवी सीता संगम में स्नान कर अपने हाथों से बालू के द्वारा शिवलिंग का निर्माण किया। यही श्री कुलेश्वरनाथ महादेव के रूप में प्रसिद्ध हुए। संगम के मध्य इनका विशाल मंदिर भक्तों को आकर्शित करते है। यहां शिव के अनेक शिवलिंग है जहां श्रद्धालुगण आकर विल्वपत्र, धतुरा, केसरैया, फुंडहर, दूध, दही, शक्कर, सरसों तेल, सुगंधित तेल, जल सहित अनेक पदार्थों से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है तथा उनके पंचाक्षरी मंत्र ओम् नम: शिवाय हमेशा गुंजायमान होता रहता है।

तट पर मामा-भांचा मंदिर है जिन्हें प्रथम दर्शन माना गया है। इनसे लगा हुआ प्रयागराज का सबसे बड़ा शिवलिंग भूतेश्वरनाथ महादेव भूतभावन है। मंदिरों के समूह के बीच दान-दानेश्वरनाथ महादेव, राज-राजेश्वरनाथ महादेव, रानी धर्मशाला में बाबा गरीबनाथ महादेव, पवन दीवान आश्रम में सोमेश्वरनाथ महादेव अद्र्धनारिश्वर रूप में विराजमान है। ऐसे ही अनेक शिवलिंग यहां भूमि फोडक़र एवं स्थापित है।

हरि के अनेक मंदिर भी स्थापित है जिनमें मुख्य मंदिर श्रीराजीव लोचन के साथ ही वामन अवतार भगवान, वराह अवतार, बद्रीनारायण, नरसिंह अवतार, साक्षी गोपाल, सूर्यदेव, लक्ष्मीनारायण, भगवान का विराट रूप आदि। इन मंदिरों में प्रतिदिन श्रद्धालु पहुंच रहे है और परिवार की खुशहाली की याचना जरूर कर रहे है। पूरे माघी पुन्नी मेला में लाखों श्रद्धालुओं का रेला लगा हुआ है। आस्था, श्रद्धा एवं आध्यात्म की भक्तिधारा निरंतर प्रवाहित हो रही है।
 

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