गरियाबंद

राजिम मेला में सम्मान पाकर गदगद हुए कलाकार
01-Mar-2022 2:48 PM
राजिम मेला में सम्मान पाकर गदगद हुए कलाकार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 1 मार्च ।  
माघी पुन्नी मेला में लोक कलाकारों की मंचीय प्रस्तुति के लिए दो मंच बनाये गये है, जिनमें मुख्य महोत्सव मंच में प्रदेश के प्रसिद्ध कलाकारों की प्रस्तुति हो रही है। यह लोक संस्कृति एवं लोककला छनकर बाहर आ रही है। प्रतिदिन हजारों दर्शक दीर्घा पर डटे रहते है। सतरंगी छठा की महक इस मंच से देशभर में भ्रमण कर रही है। सुआ, कर्मा, ददरिया, गौरा-गौरी गीत, राउत नाचा, पंथी, पंडवानी, आदिवासी नृत्य से लेकर देश भक्ति की गुंज हो रही है। इसके माध्यम से कलाकारों को मंच मिल रहा है तो कला पारखियों को जानने एवं समझने का अवसर मिल रहा है। मीडिया के माध्यम से इन्हें प्रचारित करने का विशेष काम हो रहा है। इसी कड़ी में प्रशासन द्वारा स्थापित मीडिया सेंटर में आने वाले प्रत्येक कलाकारों से बातचीत कर उनकी समस्या, कला यात्रा तथा कला सीख रहे नये पौधे कलाकार को आगे बढऩे के लिए क्या करना चाहिए जैसी अनेक जानकारियां वरिष्ठ लोक कलाकारों के मुंह से सुनने को मिल रहा है। इससे आने वाली पीढ़ी को आगे बढऩे में सहायता मिल रही है तो दूसरी ओर इन कलाकारों का उत्साहवर्धन हो रहा है। मीडिया सेंटर के द्वारा प्रत्येक कला संस्था को स्मृति स्वरूप तुरंत फोटो लेकर फ्रेम के साथ ही चिन्हारी दिया जा रहा है।

इस संबंध में छत्तीसगढ़ लोक संस्था के संचालक महेश्वरदास साहू ने कहा कि यह चिन्हारी हमें जिन्दगी भर याद रहेगा। राजिम में जो सम्मान मिला है हम इसे कभी नहीं भूल पायेंगे। उन्होंने मीडिया टीम को धन्यवाद भी ज्ञापित किया। गरियाबंद जिला जनसम्पर्क अधिकारी एमएस सोरी एवं सहायक जनसम्पर्क अधिकारी पोषण साहू के मार्गदर्शन में संचालित मीडिया सेंटर से मेला सम्बंधित जानकारी आम लोगों तक समाचार पत्र, इलेक्ट्रानिक मीडिया तथा अनेक सोशल मीडिया के माध्मय से पहुंच रही है।

 मीडिया सेंटर संचालक श्रीकांत साहू, सह-संचालक युवराज साहू, रोशन साहू, रिपोर्टर संतोष सोनकर, सरोज कंसारी, योगेश साहू, चेतन चौहान सहित पूरी टीम अच्छी कवरेज देने में लगे हुए है। सही एवं सटीक समाचार लोगों तक पहुंच रही है। यहां से प्रत्येक कलाकार प्रसन्न होकर जा रहे है। वह अपने ही जुबान से खुद कह रहे है कि सरकार की यह योजना अनुकरणीय है, इससे कलाकारों का उत्साहवर्धन के साथ छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को बल मिला है।
 

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