राजनांदगांव
जिले के एक भी निकायों में अब भाजपा का राज नहीं, कांग्रेस के सामने भाजपा ने डाले हथियार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 22 मार्च। राजनांदगांव जिले के शहरी सरकार की सत्ता से कांग्रेस ने भाजपा को बेदखल कर दिया है। जिले के सभी निकाय भाजपामुक्त हो गए हैं। राजनीतिक रूप से भाजपा के लिए उपचुनाव के दौरान हुए सियासी घटनाक्रम ने परेशानी खड़ी कर दी है। एक ओर भाजपा उपचुनाव में ताल ठोंकने की तैयारी में है। उससे पहले कांग्रेस की पैतरेबाजी के सामने भाजपा टिक नहीं पाई। अब जिले के सभी 9 निकायों में भाजपा सत्ता से दूर हो गई है। ऐसे में उपुचनाव में दमखम लगाने का दावा पार्टी के लिए कमजोर साबित हो रहा है। छुईखदान और गंडई दोनों निकायों में भाजपा का राज था।
कांग्रेस के सियासी उठापटक के चलते भाजपा अपने पार्षदों को सम्हाल नहीं पाई। उनके ही पार्टी के पार्षदों ने अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का मुहिम छेडकऱ निकायों में तख्ता पलट किया। छुईखदान में स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद भाजपा को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। दोनों ही निकायों में अध्यक्षों पर भाजपा पार्षदों ने कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाकर कांग्रेस का साथ दिया। एक-एक कर भाजपा के हाथ से दोनों निकाय फिसल गए। पार्टी यह सोंचने पर मजबूर हो गई है कि पार्षदों के इस रवैये से संगठन की नींव हिल रही है। निकायों में पार्षदों को एक तरह से अध्यक्षों ने किनारे कर दिया था। कुर्सी में काबिज होते ही अध्यक्षों पर कथिततौर पर मनमाफिक फैसला करने का आरोप पार्षदों ने लगाया है। पार्षदों का सब्र उस वक्त टूटने लगा, जब उनकी पसंद से परे फैसले लिए जाने लगे। पार्षद भी अविश्वास प्रस्ताव के लिए एक निर्धारित समय-सीमा का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मियाद पूरी होते ही उनके खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया। पार्षदों को कांग्रेस का साथ मिलने के कारण निकायों में आसानी से अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव के सामने टिक नहीं पाए। पूरे राजनीतिक उठापटक में भाजपा की स्थिति बेहद लचर रही। संगठन के शीर्ष नेताओं ने तमाशबीन होकर पूरे मामले को देखा।पार्षदों को एकजुट करने में नेताओं ने दिलचस्पी नहीं ली। पार्षदों के लिए यह मौका अपनी भड़ास निकालने का भी था। पार्षदों ने एक तरह से संगठन के नेताओं को आईना दिखाते हुए अविश्वास प्रस्ताव की मुहिम में अपनी ताकत का अहसास कराया। शहरी सरकार की बागड़ोर हाथ से जाते ही भाजपा की जबर्दस्त किरकिरी हुई है। भाजपा में आलानेताओं के बीच चली गुटीय लड़ाई भी पार्षदों के संगठन के खिलाफ जाने को बल मिला। इस तरह गंडई और छुईखदान नगर पंचायत में अब भाजपा की कुर्सी चली गई है। जिले के निकाय अब भाजपामुक्त हो गए हैं।
गंडई के चार पार्षद भाजपा से निष्कासित
गंडई भाजपा मंडल अध्यक्ष संजय अग्रवाल एवं जिला भाजपा अध्यक्ष मधुसूदन यादव की अनुशंसा पर प्रदेश भाजपा ने सोमवार को गंडई नगर पंचायत अध्यक्ष श्यामपाल ताम्रकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में सहयोग कर भाजपा के अध्यक्ष को हटाने के लिए गम्भीर अनुशासनहीनता मानते पार्टी के 4 पार्षदों को 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है। जिसमें प्रमुख रूप से जावीद खान, चंद्रिका नामदेव, निराशा कुर्रे एवं पूर्णिमा कुंजाम शामिल है। जिला भाजपा के महामंत्री सचिन बघेल एवं दिनेश गांधी ने कहा कि कांग्रेस सरकार में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है और जिस तरह से उपचुनाव के पूर्व राजनीति का स्तर गिराया जा रहा है, उसका कड़ा जवाब आने वाले उपचुनाव में कांग्रेस को मिलेगा और खैरागढ़ के मतदाता ऐसी हिटलर शाही सरकार को वोट के माध्यम से करारा जवाब देगी।