महासमुन्द

हसदेव अरण्य में खनन अनुमति को निरस्त करने की मांग
11-May-2022 5:46 PM
हसदेव अरण्य में खनन अनुमति को निरस्त करने की मांग

आदिवासी समाज ने मौन पोस्टर जुलूस निकाल राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 11 मई।
सर्व आदिवासी समाज एवं दलित आदिवासी मंच ने छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य के समृद्ध वन क्षेत्र में पर्यावरण की चिंताओं और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को दरकिनार करके दी गई खनन की अनुमति को निरस्त करने की मांग को लेकर कल नगर में मौन पोस्टर जुलूस निकाल कर एसडीएम कार्यालय पहुंच राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।

उक्त सम्बन्ध में समाज जनों ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों के भारी विरोध के बाद भी हसदेव अरण्य क्षेत्र के परसा कॉल ब्लॉक के विस्तार के लिए 6 अप्रैल 2022 को आधिकारिक रूप से मंजूरी दे दी। यहां जंगलों की कटाई कर कोयलें की खदानें शुरू होंगी। पेड़ों की कटाई रोकने के लिए आदिवासियों ने चिपको आंदोलन भी शुरू किया, लेकिन पेड़ों की कटाई चोरी-छिपे रात में की जा रही है, जि़सकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

आगे कहा कि पिछले एक दशक से पर्यावरण संरक्षण, जंगली जानवरों और सघन वन की दृष्टि से देखते हुए हसदेव अरण्य में कोयला खदानों का लगातार विरोध हो रहा है। पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल इस क्षेत्र के आदिवासी समुदायों के लिए इस जंगल के बिना अपनी जि़ंदगी की कल्पना करना भी मुश्किल है।

समाज जनों ने कहा कि  841 हेक्टेयर के हसदेव को खनन से बचाने के लिए बीते साल आदिवासियों ने सरगुजा से रायपुर तक 300 किलोमीटर पदय़ात्रा की। यहां तक दिल्ली जाकर राहुल गांधी से भी मुलाकात की, लेकिन इस परियोजना को हरी झंडी दिखा दी गई।

हसदेव अरण्य-2010 में इसे ‘नो गो जोन’ घोषित किया गया था, जि़सका मतलब है कि ये इलाका पर्यवरण की दृष्टि से, जंगली जानवरों के लिए, आदिवासी और उनकी संस्कृति और मुख्य नदी हसदेव क इलाका है, जिसके बाद यहां कोयले के खनन पर रोक लगी थी, लेकिन 2012 में फिर खनन होने लगा, तब से अब तक ये विवाद जारी है।

इससे पहले 2016 में राहुल गांधी ने स्वयं हसदेव अरण्य में जाकर स्थानीय आदिवासी समुदायों से ये वादा किया था कि अगर उनकी सरकार इस प्रदेश में बनती है तो वो इस जंगल को किसी भी कीमत पर उजडऩे नहीं देंगे। ये बात उन्होंने तत्कालीन सरकार का विरोध करते हुए संसद में भी कही थी कि भाजपा सरकार अडानी को एक बेशकीमती जंगल सौंप रही है, जि़ससे इलाके को बहुत बड़ा नुक़सान होगा, लेकिन सरकार बनने के बाद राहुल गांधी अपना वादा भूल गए और जो काम भाजपा कर रही थी वही काम अब भूपेश सरकार भी कर रही है. जि़से देखकर लगता है कि, राजनीति में मौका परस्ती सबसे बड़ी तो है ही लेकिन वायदे करके सरकार बनाना और सरकार बनते ही वायदे से मुकर जाना भी एक पैटर्न हो गया है।

इस दौरान सर्व आदिवासी समाज ब्लॉक अध्यक्ष मनराखन ठाकुर, दलित आदिवासी मंच के अध्यक्ष राजीम तांडी, देवेंद्र बघेल, भूषण सिंह सूर्यवंशी, दशरथ बरिहा, तुलसी दीवान, इंदल माझी जगबंधु कौध, विश्राम ठाकुर, नानक ठाकुर, पालेश्वर ठाकुर, बुधराम ठाकुर, सहित समाज जन उपस्थित थे।
 

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