महासमुन्द
जिले के 25 हजार बच्चे-पुलिस की कदमताल का गवाह बना शंकराचार्य सभागार
हर बच्चों में हनुमान की तरह अबाध शक्तियां हैं, उन्हें बस एक जामवंत चाहिए-एसपी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 21 सितम्बर। महासमुंद पुलिस के खाकी के रंग स्कूल के संग अभियान को कल शाम ठीक चार बजे गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में सम्मिलित कर लिया गया। महासमुंद के शंकराचार्य सभागार में एक समारोह आयोजित कर इसकी घोषणा की गई। महज दो महीने में के इस अभियान में जिले की पुलिस और जिले के 25 हजार बच्चों ने एक साथ बैठकर साइबर अपराधों समेत पॉक्सो आदि से निपटने की जुगत बनाई। हर रोज जिले के स्कूल में बच्चों को कानूनी जानकारी देने के साथ-साथ अपराधों और अपराधियों को पहचानने और उनसे बचने के तरीके सीखने सिखाने के तरीके अपनाए और कल इस अभियान को लिम्का बुक विश्व रिकॉर्ड में महासमुंद दर्ज हुआ।
इस भव्य कार्यक्रम में गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के एशिया हेड डॉ. मनीष विश्नोई ने पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल को सम्मानित किया। इस अवसर पर साइबर जागरूकता हेतु बनाए गए वीडियो भी लान्च किया गया। इस वीडियो को व्यापक जन सराहना मिल रही है। इस तरह महामसुंद पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के मार्गदर्शन में चलाए जा रहे सामुदायिक पुलिसिंग अभियान खाकी के रंग स्कूल के संग को उसके व्यापक सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल गई है।
पूरी जानकारी यह है कि महासमुंद में आते ही पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने जिले के स्कूलों में खारी के रंग स्कूल के संग कार्यक्रम की शुरुआत की थी। महज 2 महीने में ही 25 हजार बच्चों को साइबर अपराधों के विरुद्ध जागरूक किया गया। जिले के प्रत्येक थानों में स्थापित स्कूलों में पुलिस के जवानों ने बच्चोंं के साथ बैठकें की। उक्त अभियान की लगातार प्रचार प्रसार व सफलतापूर्वक आयोजन के लिए पुलिस परिवार ने अथक कोशिश की। जिले के उच्च एवं उच्चतर माध्यमिक शाला के प्राचार्य, शिक्षकों ने भी सहर्ष हिस्सा लिया था। और तो और दिव्यांग स्कूली बच्चों को भी साइबर अपराध के बारे में जागरुक किया गया। कल भी बागबहारा के फ ाच्र्यून स्कूल के दिव्यांग बच्चों ने कार्यक्रम में सम्मिलित होकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
कल कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों ने पुलिस के ’खाकी के रंग स्कूल के संग’ जागरूकता अभियान की सराहना की। वक्ताओं ने ा अपने-अपने स्कूली और निजी जीवन के अनुभव को साझा किया। इसके बाद इस अभियान में अब तक काम कर रहे तमाम लोगों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष उषा पटेल, जिला पंचायत उपाध्यक्ष लक्ष्मण पटेल, नगर पालिका महासमुंद अध्यक्ष राशि महिलांग, कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ रश्मि चंद्राकर, वनोपज संघ जिला अध्यक्ष प्रमोद चंद्राकर, कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर, डीएफओ पंकज राजपूत, जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक, समाज सेविका शैलजा, सरिता तिवारी समेत हजारों लोगों ने हिस्सा लिया।
( ‘छत्तीसगढ़’ से इस सुनहरे पल को साझा करते हुए पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने कहा कि पुलिस अपराध घटने के बाद मामले की पड़ताल करके आरोपियों को गिरफ्तार करती है। इसके बाद न्यायालय से अपराधियों को सजा दी जाती है। बहुत से अपराधी पकड़ से बाहर होते हैं, बहुत से अपराधी गवाह नहीं मिलने से अथवा साक्ष्य के अभाव में न्यायालय से छूट जाते हैं। इसके अलावा हमारे समाज में, घरों में बहुत से ऐसे अपराध होते हैं जिसकी जानकारी पड़ोसियों तक को नहीं होती। यह सब अपराध घटने के बाद की बातें हैं। इन सब घटनाओं से चाहे कोई अंजान हो लेकिन बच्चे जरूर गवाह होते हैं। उन्हें सभी बातों की जानकारी होती है। ये बच्चे ही अपराध घटित होने से पहले लोगों को सचेत कर सकते हैं। मैंने सोचा कि स्कूली बच्चों के साथ मिलकर एक समाज की संरचना की कोशिश की जाए कि अपराध घटित होने से पहले ही उसका आभाष हो जाए अथवा घटना घटित न हो। इसीलिए मैंने बच्चों को जागरुक करने की दिशा में अपने अमले को स्कूली बच्चों के साथ भेजा। मुझे मालूम है कि हर बच्चों में हनुमान की तरह अबाध शक्तियां हैं, उन्हें बस एक जामवंत चाहिए। बच्चों की एनर्जी को अच्छी दिशा देने खुद मैं भी कई स्कूलों में पहुंचा और बच्चों के साथ जिंदगी के प्लान बनाए। जितने बच्चे पुलिस साथ जुड़े उन्हें अब अपनी सुरक्षा करना आता है। उन्हें खुद की सुरक्षा के लिए तैयार कर लिया गया है। आपको उनसे मिलकर लगेगा कि स्कूल की वर्दी के भीतर एक नन्हा पुलिस है जिसकी आंखें समाज के हर वर्ग पर नजर है। उन्हें अपनी सुरक्षा करना आता है। अब हमारे बच्चे पुलिस से डरते नहीं बल्कि उनके सबसे अच्छे दोस्त हैं। )