रायपुर

इसीलिए तबादला उद्योग कहा जाता है
30-Sep-2022 2:52 PM
इसीलिए तबादला उद्योग कहा जाता है

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 सितंबर।  राज्य और मंत्रालय प्रशासन में अधिकारियों के तबादले हो रहे है। और दूसरी तरफ कैंसिलेशन का खेल भी जोरों पर है। कैंसिल करने के लिए मंत्रालय के अधिकारी जमकर उगाही कर रहे है। एक कैंसल आर्डर के लिए न्यूनतम 25हजार तो अधिकतम की कोई सीमा नहीं है। इससे त्रस्त कई डिप्टी कलेक्टरों ने अपने कलेक्टरों तक को अवगत कराया है। इसी लिए इसे उद्योग कहा जाता हे।

सूत्रों के अनुसार तबादले का नाम सुनते ही राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कांपने लगे हैं। राज्य शासन द्वारा तबादलों पर रोक हटाने के बाद से बड़े पैमाने पर उगाही होने लगी है। यह उगाही तबादला करवाने और कैंसिलेशन दोनों के लिए हो रही है। बताया जा रहा कि इस हद की उगाही न्यूनतम का रेट 25 हजार तो है। लेकिन अधिकतम नो लिमिट। कई जुगाड़ डिप्टी कलेक्टर, इसी तरीके का इस्तेमाल कर अपने पद पर बने हुए है। इसमें मंत्रालय के जीएडी के राप्रसे सेक्षन की अहम भूमिका बतायी जा रही है। यही का अमला पहले अनाम लोगों से संबंधित डिप्टी कलेक्टर की शिकायत करवाता है, उसे जीएडी के प्रभारी मंत्री (सीएम) के समक्ष प्रस्तुत कर तबादले करवाता है। और फिर कैंसिल के लिए उगाही होता है। जीएडी में यह रामायण आम है।

सूत्रों के मुताबिक डिप्टी कलेक्टर भागवत जायसवाल के खिलाफ गंभीर शिकायते थी,उनका तबादला भी हुआ लेकिन अब तक नयी जगह कार्यभार नहीं सम्हाला है। जीएडी इस केस में साइलेंट हो गए है। इसी खेल में उलझे कई डिप्टी और एडीशनल कलेक्टरों ने अपने-अपने जिलों के कलेक्टरों को जानकारी भी दे रखी है।

मंत्रालय में तीन में से दो अवर सचिवों के रद्द, मंत्री-एसीएस का दबाव
इस खेल में मंत्रालयीन कैडर का अमला भी अछूता नहीं है। यहां तो अपने ही साथी का तबादला कैंसल करवाने उनके ही साथी उगाही से परहेज नहीं करते हैं। पहले तो सारा जोर  हुए तबादले को रोकने का खेल होता है। हाल के दिनों में मंत्रालय कैडर के तीन अवर सचिवों के विभाग बदले गए। एक को वाणिज्यिक कर से पंचायत ग्रामीण विकास,दूसरे को वन से ग्रामोद्योग और तीसरे को गृह से ...स्थानांतरित किया गया। ये तीनों अवर सचिवों ने पुराने विभाग में 10-15 वर्ष से कार्य कर रहे हैं। उन्ही विभागों में ग्रेड-1 एसओ और अब अवर सचिव पदोन्नत हुए। इनमें से वासणिज्यिक कर के अवर सचिव का तबादला निरस्त हो गया है। तो शुक्रवार को वन वालों का भी रद्द हो रहा है। तीसरे गृह वाले भी जुगाड़ में लगे हुए है। इन सभी के लिए उनके मंत्री डीजी,एसीएस या प्रमुख सचिव दबाव बनाए हुए है। फोन पर कह दिया जाता है। कि स्थानापन्न अधिकारी के आने तक बने रहेंगे। और स्थानापन्न आते ही नहीं। कोग्रेस के वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा विधानसभा के हर सत्र में वर्षो से जमे इन मंत्रालयीन कर्मियों के तबादलों की मांग उठाते रहें हैं। किंतु बीते 22वर्षाे में कभी भी नहीं किए गए । थोड़े बहुत हुए भी हैं। तो एवकजीदार के न आने से आदेश रद्दी की टोकरी में डाल दिए जाते है। यह भी उल्लेखनीय है कि तबादला ेरते समय तो जीएडी के प्रभारी मंत्री सीएम बघेल से अनुमोदन लिया जाता है। लेकिन उन्हें रद्द करते समय सीएम को अंधेरे में रखा जाता है। उनसे अनुमोदन नहीं लिया जाता।

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