राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 3 दिसंबर। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग में दिग्विजय दास व्याख्यानमाला के अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता डॉ. ज्योति धारकर शासकीय विश्वनाथ तामस्कर महाविद्यालय दुर्ग थे। आरंभ में प्राचार्य डॉ. केएल टांडेकर ने व्याख्यान की उपयोगिता पर प्रकाश डालते कहा कि अन्य महाविद्यालयों के प्राध्यापकों द्वारा दिए जाने वाले व्याख्यान से छात्र-छात्राओं को लाभ होता है तथा विज्ञान के शिक्षकों पर नई जानकारी प्राप्त होती है।
विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में क्रांतिकारी आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का महत्वपूर्ण पहलू था। आज की स्थिति में आवश्यक है कि क्रांतिकारी आंदोलन के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त हो सके।
मुख्य वक्ता डॉ. ज्योति धारकर ने भारत में क्रांतिकारी आंदोलन के महत्व पर प्रकाश डालते कहा कि क्रांतिकारी जोशीले और साहसी देशभक्त थे, उन्हें यह विश्वास हो गया था कि अहिंसा और वैधानिक साधनों द्वारा राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं किया जा सकता। अत: उन्होंने हिंसात्मक उपायो द्वारा भारत को स्वतंत्र करने की प्रयास किए। भारत में क्रांतिकारियों ने इटली आयरलैंड और उसके कांति कार्यों से प्रेरणा ग्रहण की थी। उनका विश्वास था कि युवक अपने त्याग और बलिदान द्वारा मातृभूमि को विदेशी बंधन से मुक्त कर सकते हैं।
आज के युवा भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव, उधम सिंह, यशपाल, भगवतीचरण, बटुकेश्वर दत्त के कार्यों से प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं कार्यक्रम का संचालन प्रो. हिरेंद्र बहादुर ठाकुर द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन हेमलता साहू द्वारा किया गया।