कोण्डागांव
किसानों को खरीफ के साथ अब रबी फसलों के लिए भी मिल रहा पानी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव,30 अप्रैल। जल-संचय और जल-स्रोतों के संरक्षण-संवर्धन के लिए संचालित नरवा विकास योजना के जरिये वनों से निकलने वाले नालों को उपचारित करने के लिए वन विभाग कैम्पा मद के वार्षिक कार्ययोजना के माध्यम से हो रहे भू-जल संवर्धन कार्यों से बिगड़े वनों को सुधारने,मिट्टी में नमी को बनाये रखने,नाले के किनारों में हो रहे कटाव की रोकथाम के साथ-साथ नाले से खेतों में पानी की व्यवस्था होने के फलस्वरूप खेती-किसानी को बढ़ावा मिला है। इन नालों में संग्रहित पानी के जरिये सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के साथ साथ दुर्गम एवं दूरस्थ ईलाके के ग्रामीणों को निस्तारी की सुविधा मिल रही है।
कोण्डागांव जिले में दक्षिण कोण्डागांव वनमंडल के नारंगी परिक्षेत्र के अंतर्गत बम्हनी उप परिक्षेत्र में कैम्पा मद के वार्षिक कार्ययोजना 2020-21के अंतर्गत सघन वन से निकलने वाली चमाई नाला को चयनित करके नरवा उपचार का कार्य किया जा रहा है।जिसमें पहले बमुश्किल दिसम्बर माह तक बहने वाली नरवा के ड्रेनेज ट्रीटमेंट और कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के बाद अब यह नाला अप्रैल तक बह रही है और किसानों के द्वारा आसपास के खेतों पर रबी फसल लेने के फलस्वरूप चहुंओर हरियाली की छटा सहित ठण्डी बयार बह रही है।वन ग्राम चमाई के ग्रामीणों के सहयोग से वन प्रबधन समिति द्वारा चामाई नाला के पुनर्जीवन के लिए किये गये उक्त योजनाबद्ध कार्यों ने किसानों की खुशहाली और समृद्धि का रास्ता खोल दिया है।
इस बारे में डीएफओ दक्षिण कोण्डागांव वनमण्डल आरके जांगड़े बताते हैं कि चमाई नाला नारंगी परिक्षेत्र के धनसुली परिसर से उदगम होकर करीब 8 किलोमीटर की दूरी तय करके भंवरडीह नदी में समाहित हो जाता है7 चमाई नाला का कुल जल संग्रहण क्षेत्रफल 1261हेक्टेयर है जिसमें क्रमश: 800 हेक्टेयर वन क्षेत्र तथा 461हेक्टेयर राजस्व एरिया में आता है। चमाई नाला में कुल 72 लाख 34 हजार रुपये की लागत से 127 भूजल-संवर्धन के कार्यों को पूर्ण किया जा चुका है।
नाला के प्रारंभिक कटाव को रोकने के लिए मृदा उपचार के कार्यों जैसे कंटूर ट्रेंच, लूज बोल्डर चेक ,ब्रशवुड,पानी सोखता खंती को मुख्य रूप से सम्मिलित किया गया है इसके साथ ही साथ नाला के कटाव के लिए गेबियन संरचना और जल के संग्रहण के लिए चेक डेम,मिट्टी बांध और तालाब का निर्माण कराया गया है।
चमाई नाला में 12 लाख रुपये की लागत से निर्मित मिट्टी बांध दुर्गम और दूरस्थ चमाई गांव के लिये बहुत लाभदायक साबित हो रहा है । मिट्टी बांध के निर्माण से गांव के लोगों को निस्तारी के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी गर्मी के दिनों में पानी की आसान उपलब्धता हो रही है।
वहीं गांव के धनीराम, मिथिलेश, रूपधर आदि 7 किसानों द्वारा लगभग 10 एकड़ कृषि भूमि में रबी फसल ली जा रही है। इन किसानों ने अपनी खेती-किसानी के लिये सिंचाई साधन उपलब्ध होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए नरवा विकास के इस महत्वाकांक्षी कार्य को सार्थक पहल निरूपित किया। इसके साथ ही साथ मिट्टी बांध के निर्माण से ग्रामीणों को आने जाने की सुविधा मिल रही है। वन प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष श्री मानकू राम सोरी कहते हैं कि अब गांव के आसपास जल स्तर में वृद्धि हुई है और खेतों में फसल लेने के कारण हरियाली की छटा दिख रही है।