बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भाटापारा, 12 जून। भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस फेडरेशन (इंटक) के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष पप्पू अली ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की सभी फैक्ट्रियों में आग या फिर अन्य हादसों से लगातार श्रमिकों की जान जा रही हैं। अधिकतर मामलों में फैक्ट्री संचालकों की लापरवाही सामने आती हैं। फैक्टरी में पहले भी कई बार कभी रसोई तो कभी शॉर्ट सर्किट से आगजनी की घटनाएं हुई, लेकिन नजर अंदाज करते रहे। इसी तरह फैक्ट्रियों में बिल्डिंग नियम अनुसार नहीं बनी हैं फिर भी नक्शे पास हो जाते हैं। श्रम विभाग के पास श्रमिकों का पूरा रिकॉर्ड नहीं है। सेफ्टी एवं अग्निशमन डिपार्टमेंट सर्वे करते हैं और खामियों पर खामोश हो जाते हैं। हादसे होते हैं और मामले की जांच भी की जाती है।
मजदूर के परिजनों से फैक्ट्री मालिक समझौता कर लेते हैं या फिर बिना ठोस कार्रवाई के फाइल बंद हो जाती हैं। पिछले 5 वर्षों में फैक्ट्री संचालकों की लापरवाही के चलते हर वर्ष औसतन कई मजदूरों की जान गई है।
आगे कहा कि रायपुर जिले में दो हजार के करीब उद्योग हैं। इनमें 18 हजार के करीब श्रमिक हैं। लेकिन बिना रिकॉर्ड के 50 हजार से अधिक श्रमिक भी हैं। इसके बावजूद विभिन्न रिहायशी व बाहरी क्षेत्रों में फैक्ट्रियां चल रही हैं। जिला प्रशासन के पास न तो सभी फैक्ट्रियों का ही रजिस्ट्रेशन है और न ही पूरी तरह मजदूरों के कार्ड बने हुए हैं। फैक्ट्री संचालकों को नियम पूरे करने के लिए प्रशासन की तरफ से कभी कोई सख्ताई नहीं की जाती।
क्या कहता है कानून
सामाजिक श्रमिक सुरक्षा योजना के तहत फैक्टरी में दुर्घटना में मौत पर 5 लाख रुपए और घायल को उसके घायल होने की प्रतिशतता के आधार पर सरकार मुआवजा देती है। फैक्ट्री मालिकों भी मुआवजा देना होगा जोकि कर्मचारी की उम्र और उसकी सेलरी के हिसाब से देना होता है। इसके अलावा ईपीएफ व बीमा आदि से भी राशि उपलब्ध होती है। दुर्घटना किसी की गलती से भी हुई हो फैक्ट्री एक्ट के तहत जुर्माना फैक्टरी मालिक को ही भुगतना होगी। रिहायशी क्षेत्र में कोई फैक्ट्री नहीं चला सकते। फैक्ट्री के लिए एनओसी होनी जरूरी है और फैक्ट्री के अंदर आग नियंत्रण संबंधी यंत्र होने चाहिए।