राजनांदगांव
पार्षदों के साथ किया निरीक्षण,दोषी ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड व जिम्मेदार इंजीनियरों पर कार्रवाई की मांग
राजनांदगांव, 28 जून। नगर पालिक निगम नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने मानसून की शुरूआती बारिश में हाल ही में किया गया डामरीकरण बह जाने को लेकर महापौर व आयुक्त पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जनता के बीच चर्चा है कि मरम्मत और डामरीकरण के लिए स्वीकृत 10 करोड़ की राशि में 10 प्रतिशत एडवांस कमीशन का खेल खेला गया। सड़क मरम्मत कार्य की गुणवत्ता ने इस पर मुहर भी लगा दी है।
उन्होंने कहा कि इतने बड़े भ्रष्टाचार का ही नतीजा है कि डामरीकरण के महीनेभर बाद ही एक बारिश में सारा डामर धुल गया और सड़क में सिर्फ बजरी गिट्टी बची है। उन्होंने महापौर और आयुक्त को चुनौती देते कहा कि अगर वे इस भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हैं तो तत्काल दोषी ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करें और इसके साथ ही जिम्मेदार इंजीनियरों पर कार्रवाई करें।
श्री यदु ने कहा कि गुरुनानक चौक से लेकर मानव मंदिर चौक तक डामरीकरण का कार्य निगम द्वारा करवाया गया था। महीनों विलंब के बाद भाजपा के शहर के अलग-अलग हिस्सों में लगातार प्रदर्शन और पुतला दहन के बाद यह कार्य शुरू हो सका था। अब एक महीने बाद ही यह डामरीकरण पहली बारिश में पूरी तरह धुल गया है। नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु के साथ पार्षद पारस वर्मा, जया यादव, अरुण साहू, रजत वैष्णव ने इस सड़क का निरीक्षण किया और इसके बुरे हाल पर बात की। श्री यदु के साथ पार्षदों ने सड़क से बजरी गिट्टी उठाकर दिखाते कहा कि सड़क मरम्मत के लिए 3 करोड़ के टेंडर हुए हैं। ये उस काम का नमूना है।
डामरीकरण के लिए भी 7 करोड़ के टेंडर हुए हैं। इन कार्यों की स्वीकृति मिलने के बाद महीनों तक वर्क ऑर्डर रोका गया। वर्क ऑर्डर के बगैर ही महापौर ने नगरीय प्रशासन मंत्री से कार्यों का भूमिपूजन कराकर झूठा श्रेय लेने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि शहर में चर्चा है कि ठेकेदारों को वर्क ऑर्डर जारी करने के एवज में एडवांस में 10 प्रतिशत कमीशन की वसूली की गई। 10 करोड़ के हिसाब से ये रकम एक करोड़ की होती है। चर्चा के मुताबिक इन कार्यों में एक करोड़ का सीधा भ्रष्टाचार किया गया। इसके बाद ठेकेदारों ने देर से मिले वर्कऑर्डर पर मनमाने तरीके से गुणवत्ताहीन काम को अंजाम दिया। भ्रष्टाचार की इस श्रृंखला की तस्वीर आज सभी के सामने है।
आयुक्त पर आरोप लगाते उन्होंने कहा कि सड़क में मरम्मत के दौरान आयुक्त निरीक्षण के लिए निकले थे। उन्होंने सड़कों की गुणवत्ता में क्या देखा इसका जवाब उन्हें देना चाहिए। जनता कह रही है कि आयुक्त गुणवत्ता का निरीक्षण करने नहीं अपना कमीशन का प्रतिशत तय करने की कवायदों में जुटे थे। निगम की अस्मिता के लिए ऐसे आरोप कतई उपयुक्त नहीं है, लेकिन महापौर और आयुक्त की कार्यशैली ने निगम को बदनाम कर दिया है।