राजनांदगांव
पूर्व सांसद ने हल्दी-सुरगी-कुम्हालोरी मार्ग का किया निरीक्षण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 28 जून। पूर्व सांसद एवं प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष मधुसूदन यादव ने मंगलवार को जनता की शिकायत पर हल्दी-सुरगी-कुम्हालोरी मार्ग में विभाग द्वारा किए गए पेंचवर्क एवं मरम्मत कार्य का निरीक्षण किया। श्री यादव ने उक्त मार्ग की दुर्दशा पर शासन-प्रशासन को आड़ेे हाथों लेते कहा कि इस सडक़ पर पहले बड़े-बड़े गड्ढे नजर आते थे, किन्तु अब गड्ढों के बीच कहीं-कहीं सडक़ नजर आती है, जिस मार्ग को बनवाने की घोषणा सीएम भूपेश बघेल ने स्वयं की थी और जिसके लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा 18 करोड़ रुपए की लागत का प्राक्कलन तैयार किया गया है, उस मार्ग की दुर्दशा शर्मनाक है।
स्थानीय नेता ले रहे झूठा श्रेय
उन्होंने कहा कि पूर्व में भी जिला भाजपा द्वारा जनहित में राजनांदगांव क्षेत्र के इस सडक़ मार्ग के वर्षा पूर्व निर्माण कार्य को लेकर शासन-प्रशासन को अल्टीमेटम दिया गया था और इसके बाद स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने भी आनन-फानन में विभागीय अधिकारियों को इस मार्ग के निर्माण के लिए दबाव बनाकर विभागीय मद से छोटा-मोटा पेंचवर्क और मरम्मत कार्य करवाया था और इस रोड के मखमली हो जाने का झूठा श्रेय ले रहे हैं।
उठाया सवाल : बेहतर हुई या बदतर?
ऐसे झूठा श्रेय लेने वाले कतिपय कांग्रेसी नेताओं से श्री यादव ने पूछा है कि वह स्वयं जाकर इस मार्ग का पहले निरीक्षण करें और फिर जनता को बताएं कि इस मार्ग की स्थिति पहले से बेहतर हुई या बदतर हुई है? श्री यादव ने दावा किया कि दो दिन के बारिश में ही इस मार्ग की स्थिति पहले से भी ज्यादा बदतर हो गई है। जिसके कारण इस क्षेत्र के ग्रामवासियों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जिस सडक़ को बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई है, उसकी दयनीय दशा से ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि साढ़े चार साल के कांग्रेस राज में प्रदेश में सडक़ मार्गों की स्थिति कितनी भयावह है।
10 दिन का दिया समय, होगा अंादोलन
श्री यादव ने शासन-प्रशासन को चेतावनी देते कहा कि थूकपालिस के पेंचवर्क से अब काम नहीं चलेगा। सीएम की घोषणा की गरिमा का ध्यान रखते शासन-प्रशासन 10 दिन के भीतर हल्दी-सुरगी-कुम्हालोरी मार्ग के निर्माण कार्य को प्रारंभ करें अन्यथा भाजपा कार्यकर्तागण एवं स्थानीय ग्रामवासी इस सडक़ के गढ्ढों में रोपा लगाकर पहले लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे और उस पर भी संतोषप्रद कार्रवाई नहीं की गई तो धरना, चक्काजाम और आंदोलन जैसे उग्र विरोध प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे। जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।