कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंडागांव, 9 जुलाई। राज्य शासन शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार जिला कलेक्टर कोंडागांव दीपक सोनी निर्देशन में जिला शिक्षा अधिकारी मधुलिका तिवारी के मार्गदर्शन में विकासखंड/जिला मुख्यालय कोंडागांव से महज 22 किलोमीटर दूर बसे ग्रामीण अंचल ग्राम पंचायत कमेला के प्राथमिक शाला में शाला प्रवेशोत्सव 2023-24 का आयोजन हुआ।
जिला मीडिया प्रभारी शिक्षक शैलेंद्र ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि शाला प्रवेशोत्सव में मुख्य अतिथि शाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष कौशिक चंद्र पांडे, विशेष अतिथि होरीलाल चंद्रवंशी संकुल प्रभारी प्राचार्य, कांतिलाल पांडे उपस्थित थे। उपस्थित समस्त अतिथियों द्वारा सर्वप्रथम मां सरस्वती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पूजा अर्चना के साथ शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
पूजा अर्चना के पश्चात समस्त अतिथियों का पुष्प गुच्छ तिलक चंदन से स्वागत किया गया, अतिथि स्वागत के पश्चात अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के द्वारा राजगीत व रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया तथा नवप्रवेशी समस्त छात्र-छात्राओं को तिलक वंदन कर माला पहनाकर स्वागत करते हुए सभी छात्र-छात्राओं को राज्य शासन की योजना से प्राप्त गणवेश एवं नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक का वितरण किया गया तथा संस्था के प्रधान अध्यापक द्वारा सभी छात्र-छात्राओं के लिए पहाड़ा,स्लेट,पेंसिल-रबर,कॉपी भी प्रदाय किया गया।
इस कार्यक्रम में शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, संकुल प्राचार्य ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समस्त छात्र-छात्राओं को नियमित उपस्थिति और स्वच्छता बनाए रखने और गतवर्ष की तरह प्राथमिक शाला कमेला का नाम रोशन करने की बात करते हुए सभी छात्र-छात्राओं को ढेरों बधाई दी तथा प्राथमिक शाला कमेला का नाम रोशन करने की बात कही गई।
इसी कड़ी में बैगलेसडे पर छात्र-छात्राओं, शिक्षक, कर्मचारियों की उपस्थिति में स्वच्छता, शाला प्रवेश उत्सव रैली का आयोजन किया गया, जिसमें समस्त छात्र-छात्राओं की नियमित उपस्थिति, घर के आसपास साफ-सफाई, स्वच्छ पानी, सार्वजनिक स्थान के आसपास साफ-सफाई, मच्छरदानी का उपयोग, मौसमी बीमारियों, पर्यावरण संरक्षण के बारे में नारा लगाने के साथ रैली का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के प्रधान अध्यापक, संकुल समन्वयक गौतम राम पांडे, लक्ष्मण पांडे, कीर्तन, दुर्योधन, रितेश सखा, मिलन, हेमकांति, डालेश्वरी तथा पालकों, माताओं का विशेष सहयोग रहा।