सरगुजा
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा- सर्व आदिवासी समाज 30 रिजर्व व 20 जनरल सीट पर लड़ेगी चुनाव
20 को प्रदेश के सभी जिला व ब्लॉकों में होगा जेल भरो आंदोलन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,17 जुलाई। सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने अंबिकापुर नगर के प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों के लिए बनाए गए पेशा कानून के सारे अधिकार को खत्म कर दिए हैं। राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन सरगुजा और बस्तर में जंगल की जमीन हो या नजूल भूमि, जिसमें पेशा कानून के तहत अनुमति लेना ग्रामसभा से अनिवार्य है, लेकिन अब सरकार स्वीकृति की जगह उसमें परामर्श लेना कर के मूल कानून में बदलाव कर दिया है।
ऐसा कानून में छेड़छाड़ संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है, जो इस प्रदेश में हो रहा है। आदिवासी समाज का भविष्य अंधकार में है, पेशा कानून 1996 में आदिवासियों के हित के लिए बनाया गया था, लेकिन अब यह कानून समाज के अधिकार को खत्म कर रहा है।
श्री नेताम ने कहा कि अधिकारों के लड़ाई की आगामी रणनीति समाज से सत्ता की ओर ले जाएं, इसके लिए सर्व आदिवासी समाज ने 2023 के विधानसभा चुनाव मे अपनी समस्या का निदान के लिए 30 रिजर्व सीट एवं 20 जनरल सीटों पर लडऩे का निर्णय लिया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अरविंद नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद से जो अधिकार आदिवासियों को मिलने थे, वे सभी अधिकार न तो भाजपा सरकार में और न ही कांग्रेस सरकार में आदिवासियों को मिला है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में आदिवासियों के लिए बने हुए कानून उनके संवैधानिक अधिकार का लगातार हनन हो रहा है,जिसके लिए सर्व आदिवासी समाज लगातार निवेदन आवेदन ज्ञापन देते रहे हैं। 2001 में 32 प्रतिशत आरक्षण मिलना था जो नहीं मिला। परिसीमन में आदिवासियों का 5 आरक्षित सीट को हटा दिया गया और पेशा कानून का नियम बहुत लंबी प्रतीक्षा के बाद बना। लेकिन उस नियम में ग्राम सभा का अधिकार खत्म कर दिया गया, नक्सल समस्या, विकास कार्यों के नाम पर आदिवासियों का विस्थापन, जमीन के मामले एवं अपने 23 सूत्रीय मांगों को लेकर लगातार सर्व आदिवासी समाज आंदोलन कर रहा है। पूर्व अध्यक्ष स्व. सोहन पोटाई जी के नेतृत्व में समाज में जागरूकता पूरे प्रदेश में जिला से लेकर ब्लॉक स्तर तक पहुंचा। अपनी मांग के लिए निवेदन, आंदोलन, चक्का जाम, विधानसभा घेराव किए। लेकिन पूर्व की सरकार और वर्तमान की सरकार आदिवासियों के किसी मुद्दे पर ना बात करना चाहती है और ना ही उनको दिए गए कानूनी अधिकार को देना चाहते हैं। लगातार प्रताडऩा बढ़ते जा रही है, आदिवासी अपने अधिकार से वंचित हो रहे हैं। वर्तमान में आरक्षित सीटों से जीते हुए विधायक आदिवासियो के मुद्दे को रखने में असफल रहे हैं। इन सब कारणों को देखते हुए समाज अपनी आवाज विधानसभा तक रखने और अपने जनमत का उपयोग अपने अधिकारों के लिए करेंगे। 2023 चुनाव में आदिवासी समाज विधानसभा चुनाव अपनी समस्या का निदान के लिए लड़ेगी।
भानुप्रतापपुर से विधायक रहे मनोज मंडावी के निधन के बाद उपचुनाव का उदाहरण देते हुए अरविंद नेताम ने कहा कि आदिवासी समाज में सरकार के प्रति आक्रोश का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भानुप्रतापपुर उपचुनाव में आदिवासी वर्ग के निर्दलीय विधायक को 16 प्रतिशत वोट मिला था, जहां भानुप्रतापपुर उपचुनाव से प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने आने वाले विधानसभा चुनाव में समाज से उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है।
हसदेव पर नेताम ने कहा जब हम ड्राइविंग सीट पर बैठेंगे तब दिखाएंगे कैसे होती है कार्रवाई
हसदेव मुद्दे पर श्री नेताम ने कहा कि जब हम ड्राइविंग सीट पर बैठेंगे, तब दिखाएंगे कैसे होती है कार्रवाई। हसदेव एवं बस्तर में अधिकारों की लड़ाई पर गलत एफआईआर, स्थानीय आरक्षण और पेशा नियम संशोधन के लिए 20 जुलाई को विधानसभा सत्र के दौरान पूरे प्रदेश के जिलों/ब्लॉकों में जेल भरो आंदोलन भी किया जाएगा।
प्रेस वार्ता के दौरान अकबर राम कोर्राम गोंडवाना महासभा के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व डीआईजी, रामप्रकाश पोर्ते जिला अध्यक्ष गौड़ समाज विकास समिति, अनिल प्रताप, विनोद नागवंशी,जोऊ माखनलाल रिटायर्ड कार्यपालन अभियंता व डॉ अमृत मरावी सहित अन्य लोग मौजूद थे।