बीजापुर
मोहम्मद इमरान खान
भोपालपटनम, 31 अगस्त (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। सीएम भूपेश बघेल की घोषणा कागजों में उलझकर फाइल बंद हो गई है। चार साल पूर्व चौपाल चर्चा में भोपालपटनम पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाईस्कूल मैदान में आयोजित सभा में यहां बांस का कागज कारखाना खोलने की घोषणा की थी। उसके बाद इसकी तैयारियां जोरो पर चल रही थी, अब इसका जिक्र कोई नहीं करता है।
चौपाल कार्यक्रम में सीएम ने लगभग सौ करोड़ की लागत से कागज कारखाना बनाने की घोषणा की थी। देखा जाए तो कागज का कारखाना खोलने की मांग पिछले 4 दशक से ज्यादा समय से की जा रही है। महाराष्ट्र और तेलंगाना की सीमा से सटा भोपालपटनम बस्तर के पश्चिमी छोर पर बसा कस्बा है। यह इलाका बेहद पिछड़ा हुआ है।
अविभाजित मध्यप्रदेश में इस इलाके के कुचनूर व पेगड़ापल्ली की खदानों से कोरंडम का खनन होता था, पर बाद में वन कानूनों की वजह से वह परियोजना बंद हो गई, इसका भी कारण नक्सली समस्या है।
जानकारी के मुताबिक सीएम के घोषणा के बाद जिले व राज्य के बड़े अफसरों का आना-जाना लगा हुआ था। उद्योग विभाग के अफसरों ने गोल्लागुड़ा गांव के पास मर्रीगुड़ा जंगल में लगभग 100 एकड़ भूमि का चयन भी किया गया था।
जिला उद्योग विभाग की जानकारी के अनुसार संसाधनों की कमी के कारण कागज कारखाने की प्रक्रिया थम गई है व राज्य से कहा गया है कि उस जगह फैक्ट्री को खोलने योग्य नही ऐसी जानकारी मिली है।
जब प्रक्रिया चल रही थी, तब अफसरों की हलचल जोरों पर थी, यह सबको देखकर ग्रामीणों में खुशी की लहर थी। कारखाना खुलने से आवागमन रोजगार से लेकर बहुत सी सुविधाएं मिलेंगी, पर अब यह सपना बनकर रह गया।
अंतरराज्यीय सीमाओं से सटा भोपालपटनम पुलों के अभाव में दूसरे राज्यों से कटा रहा पर अब हालात बदले हैं। बस्ती के पास इंद्रावती नदी बहती है। नदी के उस पार महाराष्ट्र का गढ़चिरौली जिला है। इंद्रावती पर तिमेड़ का पुल बनने के बाद इस रूट पर आवाजाही बढ़ी है। दक्षिण की ओर तारलागुड़ा के रास्ते में छोटे-बड़े पुल बन चुके हैं और सडक़ का डामरीकरण भी पूरा हो चुका है। इस इलाके में अब बड़ी गाडिय़ा व माल वाहनों की आवाजाही दिखाई देती है। रोड बनाने के बाद रोटी बेटी का नाता भी जुड़ा है।
बंद पड़े हुए हैं बांस के 29 कूप
विभागीय जानकारी के मुताबिक जिले में कुल बांस के 29 कूप हैं, जिसमें भोपालपटनम के छ: कूपों में ही उत्पादन हो रहा था, पर वह भी दो साल से बंद है। जानकारी के मुताबिक कागज कारखाना खोलने के लिए कच्चे माल की जिले में कमी है। इधर चर्चाओं में यह बात हो रही है कि अगर कच्चे माल की कमी है तो दूसरे जिलों से बास को लाकर कारखाना संचालित किया जा सकता है।
इस संबंध में जिला उद्योग अधिकारी एसए बिलुंग का कहना है कि संसाधनों की कमी के कारण यह प्रोजेक्ट डिले हो गया है। कच्चा माल का उत्पादन कम है। बाकी प्रक्रिया राज्य स्तर का है, क्योंकि बड़ा प्रोजेक्ट है।