बीजापुर

बीजापुर में 9 बार कांग्रेस, 4 बार भाजपा, एक बार निर्दलीय की जीत
02-Nov-2023 3:02 PM
बीजापुर में 9 बार कांग्रेस, 4 बार भाजपा, एक बार निर्दलीय की जीत

सत्ता पाने अनाज का रहा मुद्दा,  बीजापुर सीट पर कांग्रेस का रहा बोलबाला

मो.इमरान खान

भोपालपटनम, 2 नवंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता )। आजादी के बाद बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में नौ बार कांग्रेस और चार बार भाजपा व एक बार निर्दलीय ने विधानसभा सीट जीतकर अपना कब्जा जमाया है।

सबसे पहले मनोनीत पी. रामैया प्रथम विधायक रहे, उसके बाद एक साल का कार्यकाल हीरा शाह मंडावी का रहा। 1952 के प्रथम चुनाव में दूसरी बार हीरा शाह मंडावी को निर्विरोध चुना गया, वे कांग्रेस पार्टी से नेतृत्व करते थे। इसके बाद लगातार कांग्रेस, निर्दलीय, भाजपा, मैदान पर अपनी परफॉर्मेंस दिखाई है। बीते समय में इस सीट पर ज्यादा भरोसा मतदाताओं ने कांग्रेस पार्टी पर दिखाया है।  पहले मनोनीत विधायक पी. रामैया भोपालपटनम ब्लॉक के मद्देड़ गांव से रहे। 1952 में प्रथम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से प्रथम विधायक हीरा शाह मंडावी र्निविरोध निर्वाचित हुए। अब तक पूरे विधानसभा में एक नजर डाले तो 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बकैयाराज पामभोई से स्वतंत्र प्रत्याशी आयतुराम को हार का सामना करना पड़ा।  1962 के चुनाव में कांग्रेस ने पुन: हीरा शाह मंडावी को मौका दिया, लेकिन वे पुन: र्निविरोध निर्वाचित हुए। 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से प्रत्याशी बकैयाराज पामभोई और हल छाप से किष्टैयाराज पामभोई थे, लेकिन उस समय स्वतंत्र प्रत्याशी त्रिपालशाह ने बाजी मारी।  1972 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सुरती किष्टैया 1977 में जनता पार्टी के महादेव आयतुराम राणा 1980 में कांग्रेस में शामिल होकर महादेव राणा (6697)ने स्वतंत्र प्रत्याशी राजेन्द्र पामभोई (3389)को 3608 वोटों से हराया। 1985 में कांग्रेस के शिशुपाल शाह, 1990 में कांग्रेस के राजेन्द्र पामभोई, 1993 में भाजपा के राजाराम तोड़ेम, 1998 में कांग्रेस के राजेन्द्र पामभोई, 2003 में कांग्रेस के राजेन्द्र पामभोई, 2008 में भाजपा के महेश गागड़ा, 2013 में भाजपा के महेश गागड़ा,  2018 में कांग्रेस के विक्रम शाह मंडावी रहे।

सत्ता पाने अनाज का रहा मुद्दा

सत्ता हासिल करने के लिए राष्ट्रीय पार्टी व राजनेताओं के पास मुख्य मुद्दा अनाज रहा है 15 साल छत्तीसगढ़ में सत्ता में रही भाजपा सरकार को चावल वाले बाबा के नाम से मुख्यमंत्री को जाना जाता है, वहीं वर्तमान सरकार कांग्रेस में वोटरों को अपनी ओर खींचने कर्ज माफी व धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की गई इसको लेकर ही कांग्रेस सत्ता में आई थी। इन बीस सालों में सरकारो के पास अनाज ही मुद्दा रहा है, इन मुद्दों के साथ सरकारे सत्ता में आई है।

बीजापुर सीट पर कांग्रेस का रहा बोलबाला

आजाद भारत के बाद ज्यादा समय बीजापुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का राज रहा है। शुरुवात से लेकर अब तक नजर डाले तो जनता ने कांग्रेस पर अपना भरोसा जताया है। अब तक के ये रहे पूर्व विधायक- पी. रामैया मनोनीत, हीरा शाह मंडावी कांग्रेस, बकैयाराज पामभोई कांग्रेस, त्रिपाल शाह निर्दलीय, सुरती किस्टैया कांग्रेस, महादेव राणा भाजपा दूसरी बार कांग्रेस में प्रवेश होकर कांग्रेस से विधायक रहे, शिशुपाल शाह कांग्रेस, राजेन्द्र पामभोई कांग्रेस, राजाराम तोडेम भाजपा, महेश गागड़ा भाजपा, विक्रम शाह मंडावी कांग्रेस से विधयाक रहे है। इनके साथ अन्य दल व निर्दलीय पार्टी भी चुनाव मैदान में रही मगर 1967 में त्रिपाल शाह जीतकर आए थे उसके बाद राष्ट्रीय पार्टियों को ही मौका दिया गया।

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