रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 नवंबर। पहाड़ी मैना, को संरक्षित रखने वाले वन विभाग भले विफल रहा हो शहर की सुंदरता से सरोकार रखने वालों में राजधानी में एक प्रतिमा स्थापित कर यह बताने का प्रयास किया है कि हमारी इस राजकीय पक्षी की महत्ता कितनी है। छत्तीसगढ़ की जैव विविधता में महत्वपूर्ण स्थान रखती है, दुर्भाग्यवश, पहाड़ी मैना जंगल की कटाई और अवैध पशु व्यापार के कारण संकट की कगार पर है। इसको मद्देनजर रखते हुए, वाई आई रायपुर ने निगम मुख्यालय तिराहा पर पहाड़ी मैना की प्रतिमा स्थापित की है।
स्थानीय रूप से जुटाए गए मेटल स्क्रैप से बनी प्रतिमा इन प्राकृतिक वासभूमियों में इन प्रशांत पक्षियों के सामरिक चुनौतियों का एक दु:खद स्मृति के रूप में कार्य करती है।
यह पहल वाई आई रायपुर की पक्षी संरक्षण, बायो संवाद और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई की प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठानित करती है, छत्तीसगढ़ में वन्यजीव संरक्षण के लिए एक शक्तिशाली कथा बनाती है।
अगर पहाड़ी मैना को बचाना है तो उनके रहने लायक पेड़ों की संख्या बढ़ानी होगी। आमतौर पर यह खूबसूरत पक्षी बरगद के पेड़ के इर्द गिर्द पाया जाता है.बरगद के पेड़ से इस पक्षी को वर्ष में दो बार खाना मिलता है। अगर पेड़ पर फल न भी लगे हों तो इन्हें बैठने का स्थान तो मिलता ही है. करीब 20 साल पहले एक झुंड में 200 से 300 पक्षी दिखते थे, लेकिन अब बमुश्किल पांच से छह महीना एक झुंड में देखे जा सकते हैं।
यह प्रश्न भी उठ रहे
सडक़ के बीच चौक के बड़ी मूर्ति सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का उलंघन है। इस वजह से जहां पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे प्रेरणादायी महापुरुषों की प्रतिमाएँ चौक से किनारे की गई और एक पक्षी की प्रतिमा सरे राह लगाया गया। जो अनुमति देने वाले निगम, पुलिस प्रशासन की दूरदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। मैना चौक की रोटेटरी दुर्घटना जनक परिस्थिति बनाएगी जो यातायात के नियम के खिलाफ है। वैसे भी यह सकरा तिराहा है। यह भी कहा जा रहा है कि निगम सामान्य सभा को विश्वास में लिया बिना चौक बनाया गया ।