बीजापुर
मो. इमरान खान
भोपालपटनम, 7 दिसंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। राज्य में सरकार बदलते ही पिछली सरकार में छोटे से बड़े पदों पर बैठे कर्मचारियों और अधिकारियों की टेंशन बढ़ा दी है। चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बैठते ही कांग्रेस सरकार में पांच साल जमे रहे उन अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। इस बात को लेकर कई कर्मचारी-अधिकारियों की नींद उड़ा दी है।
विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के प्रत्याशी महेश गागड़ा लगातार कलेक्टर और एसपी को हटाने निर्वाचन आयोग से गुहार लगाते रहे हैं। उन्होंने मतगणना के बाद भी कलेक्टर-एसपी पर कई तरह के आरोप लगाए हंै।सरकार बदलते ही अधीक्षक से लेकर कई अधिकारी तक की कुर्सी खिसकने का डर बना हुआ है। लोगों में ऐसी चर्चाएं हो रही है कि कुछ अधिकारियों के पद बदले जा सकते हंै।
फिलहाल छत्तीसगढ़ के लिए सीएम का चेहरा अभी साफ नहीं हुआ है, इसको लेकर केंद्र की पार्टी मंथन कर रही है। सीएम को लेकर रोज नए चेहरे की बात राज्य से लेकर अंतिम छोर पर चर्चा है। देखा जाता है कि सरकारें बदलने के बाद विभिन्न विभागों के अधिकारी भी बदले जाते हैं। इसके खौफ खाए कई अधिकारियों को चिंता सताने लगी है कि कभी भी उनकी कुर्सी खिसक सकती है।
पिछली दफा सरकार बदलने के बाद नई सरकार में अधीक्षक, बीआरसी, बीईओ, सीईओ, एबीईओ, मंडल संयोजक सहित विभिन्न पद बदले जा चुके हंै। सरकारी दफ्तरों में अपनी चले, इस कारण से अपने चहेतों को पदों में बैठते देखा गया है, जो उनकी सरकार की सुने। अभी से ही तमाम छोटे-बड़े मलाई वाले पदों पर बैठने कैंडिडेटों की जुगाड़ लगाने की खबर है।
पटनम की लीड ने कांग्रेस की बचाई साख
जिले के चारों ब्लॉकों में भोपालपटनम ब्लॉक के अधिकतम मतदान केंद्रों में कांग्रेस के पक्ष में वोट पड़े हैं, इन्हीं वोटों से कांग्रेस के प्रत्याशी को लीड मिली है। हालांकि भाजपा के महेश गागड़ा को भी कुछ बूथों में अच्छे वोट मिले हैं, लेकिन विक्रम मंडावी ने पूरे ब्लॉक में अधिक वोट प्राप्त किए हैं। पटनम ने जिले की कांग्रेस पार्टी की साख बचा ली है।
पिछली दफा से
कम मिले वोट
विधायक विक्रम मंडावी को पिछली दफा से कम वोट मिले हैं। 2018 की विधानसभा चुनाव में 22 हजार की लीड मिली थी, इस बार 3046 की लीड मिली है। पांच साल की सरकार रहने के बाद भी वोट का प्रतिशत कम हुआ है। सरकार ने किसानों व आम नागरिकों की तरफ ज्यादा ध्यान दिया है, इसके बाद भी कम वोट मिले हैं। कांग्रेस की सरकार में ग्रामीण अंचलों में कर्ज माफी, देवगुड़ी, बतकम्मा शेड जैसे अहम ग्रामीणों रिझाने वाली बातों को लेकर जनता के बीच गए हैं, लेकिन आम लोगों को इस बात का कोई असर नहीं पड़ा।
मुफ्त की रेवड़ी नहीं अपने हक पर लगी मुहर
कई लोगों का मानना था कि मुफ्त में सरकार सब देगी तो लोग आदी हो जाएंगे। लोगों ने मुफ्त की रेवड़ी छोडक़र अपने हक का वोट दिया और सरकार बनाई है। लोगों को मुफ्त में दिया पसंद नहीं आया। कांग्रेस सरकार के पास सबसे बड़ी घोषणा कर्जमाफी रही, लोगों ने इसे ठुकराते हुए वोट डाला है। पिछली बार आजमाया हुआ पैतरा काम नहीं आया।