राजनांदगांव

नेशनल लोक अदालत में साढ़े 38 हजार प्रकरण निपटे
17-Dec-2023 3:55 PM
नेशनल लोक अदालत में साढ़े 38 हजार प्रकरण निपटे

बैंक ऋण वसूली, श्रम विवाद, और बिजली बिल के मामले निपटे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 17 दिसंबर।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के तत्वावधान में  छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन एवं जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के मार्गदर्शन में नेशनल लोक अदालत का आयोजन 16 दिसंबर को वर्चुअल और भौतिक मोड में संपन्न हुआ। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए 16 दिसंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसमें सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक के न्यायालयों में लोक अदालत आयोजित की गयी। 

जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आलोक कुमार के नेतृत्व में लोक अदालत के आयोजन की सभी तैयारी की गई। जिला राजनांदगांव, जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी एवं जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में न्यायालय में लंबित, राजस्व न्यायालय एवं प्री-लिटिगेशन के 38398 प्रकरणों को निराकरण के लिए चिन्हित किया गया। नेशनल लोक अदालत आयोजित करने कुल 38 खंडपीठों का गठन किया गया। इस लोक अदालत में 38747 मामलों का सफलतापूर्वक निपटान किया गया। निपटान किए गए मामलों में कुल 37812 मामले प्री-लिटिगेशन चरण के थे और 3269 मामले ऐसे थे, जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित थे, निपटान राशि लगभग 387406384 रुपए थी। नेशनल लोक अदालत में आपराधिक राजीनामा योग्य मामले, मोटर वाहन दुर्घटना दावा से संबंधित मामले, धारा 138 एनआई एक्ट से संबंधित मामले अर्थात् चेक से संबंधित मामले, वैवाहिक विवाद के मामले, श्रम विवाद के मामले, बैंक ऋण वसूली वाद, रुपए वसूली वाद, विद्युत बिल एवं टेलीफोन बिल के मामले, भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले, राजस्व न्यायालय के मामले एवं अन्य राजीनामा योग्य वाद आदि से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई। 

 पति-पत्नी साथ रहने हुए सहमत
न्यायालय श्रीमती विनीता वारनर कुटुम्ब न्यायाधीश राजनांदगांव के न्यायालय में लंबित विधिक दांडिक प्रकरण दंड प्रक्रिया संहिता पक्षकार आवेदिका एवं अनावेदक का विवाह 11 मई 2016 को संपन्न हुआ तथा उनका एक पुत्र संतान भी है। अनावेदक द्वारा माह जुलाई 2023 में आवेदिकागण को प्रताडि़त कर घर से निकाल दिए जाने के उपरांत आवेदिका ने स्वयं तथा अपने पुत्र के भरण-पोषण हेतु न्यायालय कुटुम्ब न्यायाधीश राजनांदगंाव के न्यायालय में मामला प्रस्तुत किया। आवेदिका एवं अनावेदक के मध्य समझौते एवं एक परिवार को टूटने से बचाने की संभावना को देखते न्यायालय द्वारा उनका मामला नेशनल लोक अदालत में समझौता हेतु रखा गया। पक्षकार मुम्बई में निवासरत होने से न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सके थे, जिस कारण न्यायालय द्वारा उनसे वर्चुअल व वीडियो कॉलिंग के माध्यम से चर्चा की गई एवं न्यायालय द्वारा पारिवारिक सुखी जीवन जीने की समझाईश दिए जाने पर उनके मध्य समझौता हो गया तथा वे आपस में सुखपूर्वक जीवन व्यतित करने हेतु सहमत हो गए। नेशनल लोक अदालत के माध्यम से एक परिवार टूटने से बच गया तथा आवेदिका एवं अनावेदक का पारिवारिक जीवन संवर गया।

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