बीजापुर

रेंजर ने दीवान ले जाने की दी अनुमति, एसडीओ ने पकड़ा
29-Dec-2023 9:55 PM
रेंजर ने दीवान ले जाने की दी अनुमति, एसडीओ ने पकड़ा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
भोपालपटनम, 29 दिसंबर।
रविवार को तस्करी करते पकड़े दीवान मामले में नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। 

हाल ही में बॉर्डर पार करते तारलागुड़ा फारेस्ट नाके में चेकिंग के दौरान पिकअप वाहन में एक दीवान लेकर तेलंगाना की ओर जा रहा था, एसडीओ नितिन रावटे के निर्देश पर फारेस्ट के कर्मचारियों ने धर दबोचा। उस पर छत्तीसगढ़ वनोपज व्यापार अधिनियम काष्ठ नियम 1973 एवं 1969 अधिनियम की धारा के तहत कार्रवाई की गई, जिसमें चार लोगों को आरोपी बनाया गया है। बुडूल मधु, यशवंत निस्टूरी, रोहित निस्टूरी, गटला अज्जन्न के नाम मामला दर्ज किया गया है। एससीओ रावटे ने बताया कि गाड़ी को राजसात की कार्रवाई की गई है। 

पिकअप वाहन मालिक व तेलंगाना के लोग गुरुवार को रेंजर से मिलने भोपालपटनम आए हुए थे। उन्होंने इस मामले में अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है कि जब रेंजर ने हमें ले जाने की अनुमति दी है तो हम दीवान लेकर जा रहे हैं, दूसरी तरफ रेंजर का कहना है कि गलती से बाबू ने मुझसे साइन करवाया है पकड़े गए दीवान के कागजात फर्जी है। 2019 के बिल पर दीवान ले जा रहे थे।

जांच के बाद यह पाया गया है कि दोनों बिलों के बिल नंबर एक दूसरे से मेल नहीं खाते है और इन्होंने गलत तरीके से साइन करवाकर दीवान की तस्करी कर रहे थे। 

छत्तीसगढ़ की पकड़ से दूर हैं तेलंगाना के वन माफिया
राज्य की सीमा पर तेलंगाना के वन माफियाओं पर अंकुश लगाने में विभाग नाकाम साबित हो रहा है, इनकी पकड़ से जंगलों को उजाडऩे वाले तस्कर की पहुंच नहीं है। सिर्फ खानापूर्ति के लिए चंद कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपा लेता है। बड़े पैमाने पर सागौन के बेशकीमती लकडिय़ां तस्करों के सीकर हो रही है।

कुल्हाड़ी से होती है कटाई
सागौन के पेड़ किस तरह से काटे जा रहे हैं, इसकी हकीकत पेड़ों के ठूंठ खुद बयां कर रहे हैं। खास बात यह है कि सागौन के पेड़ों की कटाई कुल्हाड़ी से की जाती है। इसके बाद भी तस्कर पकड़ में नहीं आ पाते। चिंता की बात यह है कि वनविभाग ने बीटों पर फारेस्ट गार्डों की टीम निगरानी के लिए लगा रखी है। जिनकी मॉनिटरिंग डिप्टी रेंजर और रेंजर करते हैं। बड़े स्तर पर वन अमले की निगरानी होने के बाद भी पेड़ों को कटना चिंताजनक है।

रातोंरात मोटी रकम का फायदा
ज्ञात हो कि इस इलाके में तस्करों के नेटवर्क से बड़े जंगल तस्कर जुड़े हुए हैं, जो जंगल में रात के समय घुस आते हैं और रात के समय ही लकड़ी की तस्करी कर दी जाती है। बताया जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों के द्वारा मोटी रकम के एवज़ में बड़े पेड़ को धरासाई करने की मदद ली जाती है। 

रात के अंधेरे में होती है ढुलाई
बताया जाता है कि दिन में कटाई की जाती है, उसके बाद सागौन की लकडिय़ों को तस्कर ठिकाना लगाने रात का सहारा लेते हंै। रातो रात बेशकीमती लकड़ी बार्डर पार कर देते हंै।

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