बलौदा बाजार

सिकल सेल की पहचान के लिए की जा रही जांच
01-Feb-2024 9:54 PM
सिकल सेल की पहचान के लिए की जा रही जांच

अब तक 89 हजार से अधिक ने कराया परीक्षण

 ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 1 फरवरी। जिले में सिकल सेल की पहचान के लिए की जाँच जा रही है। अब तक 89 हजार से अधिक लोगों ने परीक्षण कराया।

ज्ञात हो कि जुलाई 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्यप्रदेश के शहडोल से राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन की शुरुआत की गई थी। इसके तहत जनजातीय क्षेत्र एवं एवं इस बीमारी की आशंका वाले क्षेत्रों में यह कार्यक्रम मिशन मोड में चलाया जा रहा है । जिसके तहत शून्य से चालीस वर्ष के व्यक्ति की जांच की जा रही है। कलेक्टर चंदन कुमार के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा तेज़ी से इस पर कार्य किया जा रहा है ।

इस सम्बंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम पी महिस्वर ने बताया कि,जिले में इस हेतु सभी को प्रतिदिन का लक्ष्य दिया गया है। जिला अस्पताल को 200, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को 100, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को 50 जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ,ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक, एएनएम को 20-20 प्रतिदिन का लक्ष्य दिया गया। स्कूलों में जानी वाली चिरायु टीम को भी 100 का लक्ष्य दिया गया है।

जिले में अब तक 89 हजार 436 लोगों का सिकलसेल जांच किया गया है। जिसमें विकासखंड बलौदाबाजार में 19 हजार 705, भाटापारा में 18 हजार 37, कसडोल में 17 हजार 154,पलारी में 15 हजार 983 तथा सिमगा में 18 हजार 557 लोगों की सिकल सेल की जांच की जा चुकी है।

गौरतलब है कि सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक रोग है जो एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में जीन्स के माध्यम से हस्तांतरित होता है। इस रोग में शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं हंसिया के आकार में बन जाती हैं एवं जल्दी नष्ट हो जाती हैं, जिससे स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है, और नसों में खून का बहाव भी रुक सकता है, जिससे दर्द होता है और खून की कमी हो जाती है। इस रोग का कोई उपचार नहीं है बस सावधानी रखने पर परेशानी से बचा जा सकता हैं। हाथ पैरों में दर्द,कमज़ोरी ,सीने में दर्द,किसी प्रकार का संक्रमण इसमें हो सकता है। सिकल सेल से पीडि़त व्यक्ति दो प्रकार का होता है ,पहला वाहक व्यक्ति जिसमें सिकल सेल के लक्षण तो नहीं होते परंतु वह सिकल सेल रोग अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है। दूसरा जिसमें रोग के लक्षण होते हैं और वह रोग हस्तान्तरित कर सकता है। सिकल सेल आने वाली पीढ़ी में हस्तांतरित ना होने पाए तथा रोग पाए जाने पर किस प्रकार की सावधानी बरती जा सकती है इसके लिए अपने सिकल सेल की स्थिति जानना अति आवश्यक है, इसी उद्देश्य से जिले भर में सिकल सेल जांच व्यापक स्तर पर की जा रही है। कलेक्टर चंदन कुमार ने सभी जिलावासियों से अपनी सिकल सेल की स्थिति जानने के लिए अधिक से अधिक जांच करवाने की अपील की है।

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