बीजापुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भोपालपटनम, 11 फरवरी। बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है जिनका मुख्य कारण अधिकारियों का समय-समय पर ध्यान न देना है, इसका सीधा असर आने वाले दिनों में बच्चो पर दिखाई देगा।
शिक्षा गुणवत्ता सुधारने सरकार हर संभव प्रयास कर रही है, इसके बाद भी धरातल स्तर पर नाकामी मिल रही है। जानकारी के मुताबिक शिक्षकों का समय पर स्कूल नहीं जाना और समय से पहले वापस घर आ जाना जैसे कई कारण भी सामने निकलकर आ रहे है।
सरकारी स्कूल का समय 9.45 से 4 बजे तक है। पहली क्लास वाले बच्चो को आंगन मा शिक्षा के माध्यम से पढ़ाए जाने की योजना है जिसमे घर में उपयोग वालो वस्तुओं को देखकर उन्हें पढ़ाने की कोशिश की जा सके। तीसरी से पांचवी तक के बच्चों को खेल खेल के माध्यम से अक्षर का ज्ञान हिंदी व गणित में देने का शासन से निर्देश भी है और छटवी से आठवीं तक नवा जतन कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को पढऩे की योजना बनाकर सरकार काम कर रही है मगर यह कि स्थिति कुछ और ही है।
ब्लॉक स्तर पर शिक्षा का स्तर सुधारने का प्रयास नहीं किया जा रहा है, इस कारण से कई लोग अपने बच्चों का भविष्य देखकर उनका एडमिशन प्राइवेट विद्यालयों में मजबूरन करा लेते हैं। इन प्राइवेट विद्यालयों में प्रवेश के लिए तो अच्छा खासा धन वसूला जाता है। प्रति माह फीस के नाम पर मोटी रकम ली जाती है। जानकारी के मुताबिक ब्लाक में कुल 19 संकुल केंद्र है जिनमें पांच संकुल केंद्रों की स्थिति काफी दयनीय है।
गुरुवार को एपीसी तारलागुडा क्षेत्र का दौरा किए उन्हें कई कमियां पाई मिली, जिनमें से उन्होंने 28 शिक्षकों को शो काज नोटिस जारी कर जवाब तलब मंगा है। खण्ड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि आज भी सुबह से मद्देड़ इलाके के कई स्कूलों निरीक्षण किए जिनमें शिक्षकों की उपस्थिति पाई गई, मगर दर्ज संख्या कम और पाठ्यक्रम पूर्ण नहीं हुए थे 15 तारीख भीतर पूर्ण करने निर्देश दिए गए है। आगमी होने वाले फाइनल परिक्षा को देखते हुए सुबह शाम को एक-एक क्लास लेकर रिवीजन करने के निर्देश दिए गए है।
चार ब्लॉकों में तीसरे नंबर पर है शिक्षा गुणवत्ता
असर की रिपोर्ट के अनुसार जिले में भोपालपटनम ब्लॉक की शिक्षा व्यवस्था तीसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर बीजापुर, दूसरे नंबर पर भैरमगढ़, तीसरे नंबर पर भोपालपटनम और चौथे नंबर पर उसूर ब्लॉक है। देखा जाए तो यह एक समय शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पहला नाम आया करता था यह से पढक़र कलेक्टर, जज, व अन्य कई बड़े ओहदे पर पहुंचते है।
बच्चों की गुणवत्ता सुधारने चलाए जा रहे कई कार्यक्रम
शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार की तरह से पहल तो की जा रही है अभी ब्लाक में तीन कार्यक्रम चलाए जा रहे है। आंगन मा शिक्षा, सरल कार्यक्रम, नवा जतन कार्यक्रम। इन कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चो को पढ़ाने की कोसिस की जा रही है फिर भी इन सभी कार्यक्रमो के संचालन के बावजूद स्थिति खराब है।
स्कूलों में क्या है कमियां
ब्लॉक के अधिकतर स्कूलों में पाठ्यक्रम पूर्ण नही है, शिक्षक डायरी का उपयोग सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। और बताया जाता है कि जब प्रशिक्षण होता है उसमे जो बाते बताई जाती है उसे लागू नही किया जाता है।
खण्ड शिक्षा अधिकारी कंडिक नारायण का कहना है कि जिला शिक्षा अशिकारी के आदेश अनुसार हर स्कूल में लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है जहाँ कमियां पाई जा रही है उसे सुधारने के निर्देश दिए जा रहे है। बीआरसी, एबीओ, मंडल संयोजक, के साथ पूरी टीम काम कर रही है।
एपीसी श्रीनिवास एटला का कहना है कि शिक्षा का स्तर बेहतर हो इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है, रोजाना स्कूलों में जाकर रिपोर्टिंग ली जा रही है और बेहतर कार्य करने शिक्षको को कहा जा रहा है।