बीजापुर
मंदिर में दान के लिए लटके क्यूआर कोड
मो. इमरान खान
भोपालपट्नम, 11 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। समय के साथ धीरे-धीरे जमाना डिजिटल होते हुए जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में भी लोग ऑनलाइन पद्धति को इस्तेमाल करना चालू कर दिए है। इन दिनों भोपालपट्नम में लगे शिवरात्रि मेले में देखा गया है कि खिलौने, जूते चप्पल, फैंसी, कपड़ा, खाने के समान रखने वाले सभी दुकानदार अपना निजी या दुकान का स्कैनर से पैसे का लेनदेन करना शुरू कर दिये हंै, और ग्रामीण इलाके से आए लोग भी समान के बदले बैसे सीधे बैंक खाते में डाल रहे हैं।
व्यापारी जोगेश साहू ने बताया कि अन्य ग्रामीण इलाकों की तुलना में यह ज्यादा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन हो रहा है यह के ग्रामीण लोग ज्यादा समझदार भी है। फैंसी के व्यापारी संदीप ने बताया कि कम से कम अभी तक कि बिक्री में 25 प्रतिशत पैसा ऑनलाइन अकाउंट में आया है, जिसको देखो क्यूआर कोर्ड ही मांगता है। एक तरफ से यह सिस्टम ठीक भी लगता है क्योंकि अकाउंट में सीधे पैसे आ जाते है,नगद लेकर या बैंक में जाकर पैसे नहीं डालने पड़ते है और समान खरीदी में भी परेशानी नहीं होती है। सीधे व्यापारी के अकाउंट में पैसे चले जाते है और इस पद्दति से पैसे की बचत भी हो जाती है। लोग गूगल पे, फोन पे, पेटीएम व अन्य खातों के जरिए पैसे चुका रहे है।
मंदिर में दान के लिए लटके क्यूआर कोड
मंदिर में लगे दान पेटी में भी क्यूआर कोर्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। चिल्हर और नगद की दिक्कत से पैसा सीधे मंदिर के खाते में चले जा रहे है। मंदिर द्वार के सामने नारियल के बदले पैसे की जगह में भी ऑनलाइन का इस्तेमाल हो रहा है। दर्शन करने आये भक्त मंदिर में पैसे का चढ़ावा नगद न डालकर स्कैन कर डाल रहे है।
चिल्हर रखने से मिला कुछ हद तक छुटकारा
ग्राहकों के लिए समान खरीदी के बाद बड़े नोट से काटकर चिल्हर देने का छुटकारा काफी हद तक कम हो गया है, चिल्हर नहीं होने की स्थिति में ग्राहक फोन-पे का इस्तेमाल कर पैसे डाल देते है। पहले बैंक व छोटे दुकानदारों से चिल्हर इक_ा कर रखना पड़ता था, अब वो झंझट कुछ हद तक कम हो गया है। अब थोड़े से चिल्लर पैसे से काम चल जाता है।