कोण्डागांव

700 साल पुराने पारंपरिक वार्षिक मेला का शुभारंभ
20-Mar-2024 10:16 PM
700 साल पुराने पारंपरिक वार्षिक  मेला का शुभारंभ

धोती कुर्ता पहन नेता-मंत्री हुए शामिल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कोण्डागांव, 20 मार्च। जिला मुख्यालय कोण्डागांव में लगभग 700 साल से पारंपरिक वार्षिक मेला का आयोजन किया जा रहा है। फाल्गुन माह में होली के ठीक 1 सप्ताह पूर्व मंगलवार से आयोजित होने वाले वार्षिक मेले का आज कोण्डागांव में विधिवत शुभारंभ किया गया, जो कि पूरे एक सप्ताह तक संचालित होता हैं।

ज्ञात हो कि, मेला समिति ने पारंपरिक भव्यता को बरकरार रखने के उद्देश्य से मेला भ्रमण करने वाले जनप्रतिनिधि व अन्य आगंतुकों को मेला भ्रमण के दौरान धोती पहनना अनिवार्य किया था। इस अनिवार्यता के चलते मेला में पहुंचे पूर्व मंत्री व पूर्व पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, नगर पालिका उपाध्यक्ष जसकेतु उसेंडी समेत समस्त जनप्रतिनिधियों ने पालन करते हुए धोती पहनकर मेला परिक्रमा की।

कोण्डागांव के बड़े बुजुर्गों के अनुसार, स्थानीय बाजार परिसर में मावली माता मंदिर प्रांगण से प्रतिवर्ष मेले का शुभारंभ होता है। माना जाता है कि, लगभग 700 वर्ष पूर्व से प्रतिवर्ष फाल्गुन माह में होली से एक सप्ताह पूर्व मंगलवार के दिन से मेला का आयोजन होता है। इस वर्ष घोषणा किया गया था कि देव परिक्रमा में शामिल होने के लिए धोती व कुर्ता पहनना अनिवार्य होगा। ऐसे में जनप्रतिनिधि, श्रद्धालु सभी धोती कुर्ता पहनकर मेला में देव मेला परिक्रमा में शामिल हुए।

22 पाली से पहुंचते हैं देवी देवता, सुख-शांति -समृद्धि के लिए निशा जतरा के साथ शुरू होता है मेला

कोण्डागांव के सामाजिक वरिष्ठ जनों के अनुसार, पारंपरिक वार्षिक मेला सोमवार की रात्रि निशा जतरा के साथ शुरू होता है। निशा जतरा के अवसर पर मावली माता मंदिर व बाबा भंगाराम मंदिर प्रांगण में गुप्त विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इसके बाद दूसरे दिन यानी मंगलवार को कोण्डागांव जिला मुख्यालय के 22 परगना से पहुंचे समस्त देवी देवता एक दूसरे से मेल मुलाकात का मेला करते हैं, और फिर अपनी खुशी का इजहार करते हुए नृत्य करते हैं। साथ ही मेला परिक्रमा भी की जाती है।

आदिवासी पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन

पहली रात निशा जतरा, तो दूसरे दिन देव मेला परिक्रमा और बुधवार की पूरी रात बस्तर के आदिवासी नृत्य का प्रदर्शन होगा। पहले रात और फिर दूसरी दिन मेला में दैविक अनुष्ठान होता है। वहीं तीसरी रात क्षेत्र के आदिवासी नृत्य दल अपने पारंपरिक नृत्य के माध्यम से बस्तर के रहन-सहन व दिनचर्या का खूबसूरती से प्रदर्शन कोण्डागांव के एससीसी मैदान में करेंगे।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news