राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 28 मार्च। सोमनी के एक युवक की मौत होने 36 घंटे बाद पोस्टमार्टम किए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा परिवार को उस वक्त भुगतना पड़ा, जब मौत की बिस्तर में सोए युवक के शव को पोस्टमार्टम करने के लिए नियम-शर्तें आड़े आ गई। इस मामले को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए।
मिली जानकारी के मुताबिक सोमनी के रहने वाले अहमद इलासी 25 मार्च को धोखे से घर में रखी चूहे मारने की दवा को पी लिया, जिससे उसकी तबियत बिगड़ गई। मुंह से झाग निकलते देखकर परिजन उसे सोमनी अस्पताल ले गए, जहां से उसे रिफर कर दिया गया। पेंड्री मेडिकल कॉलेज में दाखिल करने के कुछ घंटों बाद युवक की मौत हो गई। मृत्यु होने के पश्चात पोस्टमार्टम के लिए परिजनों को हील-हवाला दिया जाने लगा। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से पोस्टमार्टम करने से इसलिए इंकार कर दिया गया, क्योंकि लिखा-पढ़ी करने के चलते 26 मार्च को पूरा दिन निकल गया। इसके बावजूद युवक का पोस्टमार्टम नहीं हुआ। अगले दिन मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने सोमनी थाना का मामला होने का हवाला देकर बसंतपुर जिला अस्पताल ले जाने का फरमान सुना दिया गया। वहां पहुंचे परिजनों को मेडिकल कॉलेज का मामला बताकर चिकित्सकों ने अपने कर्तव्य से इतिश्री कर ली। इस तरह 27 मार्च का पूरा दिन गुजरने लगा।
बताया जा रहा है कि परिजनों ने पेंड्री मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों से हाथ-पैर जोडक़र शाम को पोस्टमार्टम कराया और किसी तरह मृतक का कफन-दफन किया गया। बताया जा रहा है कि मृतक अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला था। उसके भरोसे बुजुर्ग मां, पत्नी और 7 बच्चों का भरण-पोषण होता था। सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा भुगते परिजनों को पोस्टमार्टम कराने के लिए दो अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ा। इस मामले में प्रशासन की लापरवाही को लेकर सोमनी इलाके के लोग काफी नाराज हैं। व्यवस्था को दुरूस्त करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग परिजन और स्थानीय लोग कर रहे हैं।