राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 15 अप्रैल। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के अलग-अलग विभाग में पदस्थ चिकित्सक नौकरी छोडक़र निजी अस्पतालों अथवा अन्य शहरों का रूख कर रहे हैं। पिछले 4 महीने के भीतर 9 चिकित्सकों ने नौकरी छोड़ दी है। वहीं प्रशासकीय तबादले से भी कॉलेज के कई विशेषज्ञ चिकित्सक बाहर पदस्थ हो गए हैं। जिसके चलते कई महत्वपूर्ण विभागों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद रिक्त हो गए हैं। खासतौर पर रेडियोलॉजिस्ट एक्स-रे समेत हड्डी, कैंसर व नेत्र जैसे महत्वपूर्ण विभाग के चिकित्सकों के बगैर मेडिकल कॉलेज चल रहा है। चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को जांच में दिक्कतें आ रही है। मेडिकल कॉलेज में जिस तरह से चिकित्सकों ने निजी कारणों का हवाला देकर दूसरे शहर में जाने में रूचि ली है। इससे मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर भी खतरा मंडरा रहा है।
बताया जा रहा है कि हाल ही में रेडियोलॉजिस्ट और एक्स-रे विभाग से तीन चिकित्सकों का रायपुर तबादला हो गया। यह तबादला शासन स्तर पर हुआ है, लेकिन अन्य चिकित्सक कम वेतन और मेडिकल कॉलेज में व्याप्त कुप्रबंधन से हताश होकर इस्तीफा दिया है।
चार माह में एकमात्र नेत्र सर्जन डॉ. सौम्या डुलानी, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश डुलानी, सर्जन विभाग के एचओडी रूपनारायण साहू, कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. चैतन्य साहू और प्रसूति विभाग की एक महिला चिकित्सक व मेडिसीन विभाग के डॉ. किशोर ने इस्तीफा दिया है।
इस तरह चार माह के भीतर 9 से ज्यादा चिकित्सकों ने नौकरी छोड़ दी है। जूनियर डॉक्टरों के जरिये वैकल्पिक व्यवस्था पर प्रबंधन का जोर था, लेकिन कई जूनियर डॉक्टरों ने भी पीजी की पढ़ाई के लिए नौकरी छोड़ दी है। आने वाले दिनों में व्यवस्था गड़बड़ा सकती है। वजह यह है कि चिकित्सकों की कमी से मेडिकल कॉलेज में उच्च स्तरीय इलाज की संभावना क्षीण हो गई है। आचार संहिता के कारण नई भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगी हुई है।
राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में एक बड़ी आबादी का इलाज होता है। न सिर्फ राजनंादगांव, बल्कि बालोद, कवर्धा एवं आसपास के पड़ोसी राज्यों के मरीज भी उपचारार्थ दाखिल होते हैं। फिलहाल चिकित्सकों के इस्तीफे से निपटने के लिए प्रबंधन के पास कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पडऩा तय है।