बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 21 जून। रियासत कालीन बस्तर गोंचा पर्व शनिवार 22 जून को देवस्नान चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ प्रारंभ हो जाएगा। जगन्नाथ मंदिर परिसर में सुबह 9 बजे से 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों के द्वारा परंपरानुसार इंद्रावती नदी के पवित्र जल, पंचामृत, चंदन से भगवान शालीग्राम का अभिषेक किये जाने के बाद प्रभु जगन्नाथ स्वामी, देवी सुभद्रा एवं बलभद्र के विग्रहों को चंदन स्नान करवाया जाएगा।
360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि देवस्नान चंदन जात्रा पूजा विधान के तहत परंपरानुसार 22 जून को ग्राम आसना से भगवान शालीग्राम को श्रीश्री जगन्नाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा। ततपश्चात 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों द्वारा इंद्रावती नदी के पवित्र जल जगन्नाथ मंदिर लाकर देवस्नान-चंदन जात्रा पूजा विधान संपन्न किया जाएगा। इसके बाद भगवान के विग्रहों को मुक्ति मंडप में स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही प्रभु जगन्नाथ स्वामी का अनसर काल शुरू होकर 5 जुलाई तक जारी रहेगा। इस दौरान दर्शन वर्जित होगा।
6 जुलाई को नेत्रोत्सव पूजा विधान के साथ प्रभु जगन्नाथ स्वामी के दर्शन होंगे, 7 जुलाई को गुंडिचा रथ यात्रा पूजा विधान के साथ ही प्रभु जगन्नाथ स्वामी जनकपुरी सिरहासार भवन में 9 दिनों तक रहेंगे, जहां बस्तर गोंचा पर्व के विविध पूजा विधान परंपरानुसार संपन्न किये जाएंगे।
इसके साथ ही तय कार्यक्रम के अनुसार अमनिया भोग का भगवान जगननाथ को अर्पण 8 जुलाई से शुरू होकर 14 जुलाई तक जारी रहेगा, इस विधान को पूरा करने की जिम्मेदारी 100 गांव के 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के सदस्यों के द्वारा परंपरानुसार संपन्न किया जाएगा।
बस्तर गोंचा महापर्व में तय कार्यक्रम के अनुसार 22 जून को देव स्नान पूर्णिमा (चंदन जात्रा) जगन्नाथ स्वामी का अनसर काल प्रारंभ 23 जून से 5 जुलाई तक, नेत्रोत्सव पूजा विधान 6 जुलाई को, श्रीगोंचा रथ यात्रा 7 जुलाई को अखंड रामायण पाठ 10 जुलाई , हेरा पंचमी 11 जुलाई को, 56 भोग का अर्पण 12 जुलाई को, सामूहिक उपनयन संस्कार 14 जुलाई को, बाहुड़ा गोंचा (रथ यात्रा) कपाट फेड़ा पूजा विधान 15 जुलाई को देवशयनी एकादशी पूजा विधान 17 जलाई को संपन्नता के साथ बस्तर गोंचा महापर्व का परायण आगामी वर्ष के लिए होगा।